नई दिल्ली। केन्द्रीय जनजातीय कल्याण मंत्रालय फेसबुक के सहयोग से देश भर के जनजातीय युवाओं को डिजिटल दुनिया की बारीकियां सिखा रहा है। इसके जरिए जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षण देने का काम शुरू हो गया है । इस कार्यक्रम को 'गोइंग अलोन एज लीडर्स' का नाम दिया गया है। मंत्रालय की ओर शुरू किये गये अपने तरह के इस अनूठे कायक्र्रम के जरिये आदिवासी युवाओं में छिपी प्रतिभा को निखारने का काम होगा, जिससे वे रोजगार की संभावनाएं तलाश सकें ।
'फेसबुक' के सहयोग से शुरू किये गए इस कार्यक्रम के पहले चरण में देश भर के पांच हजार जनजाती युवा और युवतियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षण के बाद युवाओ को व्यवसाय या नया उद्यम शुरू करने में मंत्रालय सहयोग करेगी। इस कार्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि युवाओं को, खेती, बागवानी, फूड प्रोसेसिंग, मधुमक्खी पालन ,ट्राइबल आर्ट ,परंपरागत औषधि के निर्माण में नई तकनीक के सहयोग से दक्षता मिल सके।
कार्यक्रम को शुरू करते हुए केंद्रीय जनजातीय कल्याण मंत्री अजुर्न मुंडा ने कहा, " कोविड -19 के इस दौर में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम की संभावना बढ़ गई है। इस का उद्देश्य है देश भर के आदिवासी युवाओं को एक प्लेटफॉर्म मुहैया कराना है।"ध्यान रहे कि इस कार्यक्रम के द्वारा प्रशिक्षित युवाओं को जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं में सहयोग करने का मौका दिया जाएगा। पहले यह कार्यक्रम फेसबुक ने खुद अपने स्तर पर पाइलट पोजेक्ट के रुप मे फरवरी 2019 से अक्टूबर के बीच देश के पांच राज्यों में चलाया। इसके कार्यक्रम की सफलता के बाद जनजातीय कार्य मंत्रालय अब व्यापक पैमाने पर लागू करने जा रही है।
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