महाराष्ट्र के उच्च शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने यूजीसी के फैसले को स्टूडेंट्स की जान से खिलवाड़ करार दिया है। अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के लिए यूजीसी द्वारा दिए गए दिशानिर्देश सभी के लिए एक झटका है। महाराष्ट्र में कोविड 19 संक्रमण की स्थिति को जाने के बगैर ये निर्णय अंतिम वर्ष के छात्रों की जान के साथ खिलवाड़ जैसा है। इस संबंध में उदय सामंत ने केंद्र सरकार के HRD मिनिस्टर रमेश पोखरियाल को एक पत्र भी लिखा है।
आपको बता दें कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में सेमेस्टर और अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत इन संस्थानों को सितंबर के अंत तक अपनी परीक्षााएं पूर्ण करनी होंगी। इसके साथ यूजीसी ने निर्देश दिए हैं कि ये परीक्षाएं ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन माध्यम से या फिर दोनों माध्यम से पूरी की जाएंगी। इससे पहले 29 अप्रैल को जारी गाइड लाइंस में यूजीसी ने जुलाई में परीक्षाओं के संचालन के निर्देश दिए थे।
इससे पहले कल ही गृह मंत्रालय ने भी उच्च शिक्षण संस्थान और विश्वविद्यालयों को छात्रों की फाइनल वर्ष की परीक्षा को बिना बाधा के कराने को मंजूरी दे दी है। कोरोना की वजह से अभी तक उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों को परीक्षा आयोजित करने की अनुमति नहीं थी। लेकिन गृह मंत्रालय ने उच्च शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर इसकी मंजूरी दे दी है।
गृह मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियम शिक्षण सत्र के अंत में अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित कराने के निर्देश देते हैं, ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना महामारी को लेकर जो नियम (SOP) जारी किए हैं उनका पालन करते हुए परीक्षा आयोजित की जा सकती है।
गृह मंत्रालय की इस अनुमति के बाद सभी विश्वविद्यालय, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और अन्य सभी उच्च शिक्षा संस्थान अपने फाइनल इयर के छात्रों की परीक्षा करा सकेंगे। कोरोना महामारी की वजह से ज्यादातर उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अभी तक परीक्षाएं नहीं हो पायी हैं।
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