जामिया विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी हुई डिजिटल
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की डॉ. जाकिर हुसैन लाइब्रेरी का डिजिटीकरण किया गया है।
नई दिल्ली। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की डॉ. जाकिर हुसैन लाइब्रेरी का डिजिटीकरण किया गया है। ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग-रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए इसे अत्याधुनिक ओवरहेड स्कैनिंग डिवाइस से लैस किया गया है। इस डिवाइस के आ जाने से कला, इतिहास और संस्कृति के साथ ही विश्वविद्यालय की दुर्लभ पांडुलिपियों एवं अभिलेखीय महत्व के दस्तावेजों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। जामिया विश्वविद्यालय ने आधिकारिक बयान में कहा है, फ्रांस में निर्मित, यह बहुत ही तेज रफ्तार स्कैनर एक पेज को एक सेकंड से भी कम समय में स्कैन करने की क्षमता रखता है।
इसे भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार, केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की वित्तीय मदद से अर्जित किया गया है। यह अत्याधुनिक स्कैनर दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों जैसे जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय, पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय, सेंट्रल फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, द ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेवा, फ्रांस के राष्ट्रीय पुस्तकालय, जर्मनी के हेगन विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी, मैक गिल यूनिवर्सिटी, क्लीवलैंड आर्ट म्यूजियम और फिनलैंड के राष्ट्रीय पुस्तकालय आदि में स्थापित है।
बयान के अनुसार, भारत के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में, डॉ. जाकिर हुसैन लाइब्रेरी पहली है, जिसके पास ऐसी आधुनिक और कुशल डिजिटीकरण इकाई है। इस इकाई के स्थापित होने से, बड़े पैमाने पर ऐतिहासिक पांडुलिपियों, दुर्लभ पुस्तकों, पुराने धारावाहिकों, अरबी, फारसी, उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं में अभिलेखीय अखबारों के चरणबद्ध डिजिटीकरण की जाकिर हुसैन लाइब्रेरी की योजना है। विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले, महात्मा गांधी, हकीम अजमल खान और डॉ. जाकिर हुसैन आदि के प्राइवेट पेपर्स को भी डिजिटाइज किया जाएगा।