नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE)द्वारा समय-समय पर स्टुडेंट्स की बेहतरी के लिए कई महत्वपुर्ण फैसले लिए जाते हैं। इसी के साथ ही स्कुलों के लिए गाइडलाइन बनाई जाती हैं जिन्हें पूर्ण करना स्कुलों कि जिम्मेदारी होती है अन्यथा स्कूलों की मान्यता छीन ली जाती है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली के कई स्कूलों में देखने को मिला है। राष्ट्रीय राजधानी में 151 स्कूल ऐसे हैं जो बोर्ड के एक जरूरी नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। जिसकी वजह से 151 स्कूलों को दिल्ली सरकार द्वारा कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) द्वारा यह पाया गया कि इन स्कूलों में बच्चों के लिए स्पेशल एजुकेटर ही नहीं है। इसके बाद आयोग ने इन स्कूलों को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि अगर नोटिस मिलने के छह सप्ताह के अंदर स्कूलों ने स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति नहीं की, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नोटिस में कहा गया है कि 'अगर स्कूल दिए गए समय में स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति करने में असफल होते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना होगा। ऐसा नहीं किया गया तो फिर आयोग को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के समक्ष यह प्रस्ताव रखना होगा कि वह ऐसे स्कूलों की मान्यता को रद्द कर दे।'
नोटिस में यह भी बताया गया है कि साल 2015 में सीबीएसई ने सभी संबद्धित स्कूलों को निर्देश दिया था कि वे अपने यहां स्पेशल एजुकेटर्स की नियुक्ति करें। ताकि स्पेशल नीड वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। साथ ही ऐसे बच्चों की जरूरतों का भी अच्छी तरह ख्याल रखा जा सके।
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