कोरोना काल में बच्चों की सृजनशीलता बढ़ाने की कवायद
रोना संक्रमण ने हर उम्र के लोगों को परेशान कर रखा हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल तो बच्चों के सामने खड़ी हो गई है क्योंकि स्कूल बंद है और पढ़ाई-लिखाई सिर्फ ऑनलाइन हो रही है।
भोपाल। कोरोना संक्रमण ने हर उम्र के लोगों को परेशान कर रखा हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल तो बच्चों के सामने खड़ी हो गई है क्योंकि स्कूल बंद है और पढ़ाई-लिखाई सिर्फ ऑनलाइन हो रही है। ऐसे में बच्चों में कुंठा घर न करें और उनमें बोरियत न आए, इसके लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं, मध्य प्रदेश में बच्चों की सृजनशीलता बढ़ाने की मुहिम चल पड़ी है।
कोरोना संक्रमण को रोकने का सबसे बड़ा हथियार सोशल डिस्टेंसिंग को माना गया है। इसके चलते बच्चों का समूह में खेलना और मौज मस्ती करना थम गया है। दिन भर घरों के भीतर वक्त काटना बच्चों के लिए मुश्किल हो चला है। बच्चों के चंचल मन की खुराक पूरी हो, इसके लिए बच्चों के काम करने वाले गैर सरकारी संगठन चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी(सीआरओ) ने योजना तैयार की है।
सीआरओ बच्चों की संस्था यूनिसेफ की मध्य प्रदेश इकाई के साथ मिलकर बच्चों के मुद्दों की पैरवी करता है और यूनिसेफ के संचार व एडवोकेसी कार्यक्रम के तहत बच्चों की आवाज को नीति निर्माताओं तक पहुंचाने की कोशिश होती है।
सीआरओ ने तमाम गतिविधियां बच्चों के लिए शुरू की है। बच्चे एक तरफ जहां ऑनलाइन कहानियां सुन रहे हैं, वही रंग और तूलिका के जरिए आकर्षक कलाकृतियां भी बना रहे हैं। इतना ही नहीं बच्चों ने मुखौटे बनाने की कला भी सीखी है।
सीआरओ की चेयरमैन और राज्य की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच बताती हैं कि 24 जिलो के 100 और उससे अधिक बच्चों को इन गतिविधियों से जोड़ा गया है। अब तक चार इवेंट्स हो चुके है। बच्चे इन गतिविधियों में उत्साह पूर्वक भाग ले रहे हैं। आगे यह भी प्रस्ताव है कि बच्चों से जिस सेशन में उत्साह से बात कही, उसे आगे जारी रखा जाए, साथ ही उनकी कलाकृतियों को साझा किया जाए। इसके लिए विशेष सेशन आयोजित किया जाएगा।
ऑनलाइन के जरिए बच्चों को अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ अनलाइन परामर्श तो दे ही रहे हैं साथ ही उनकी सृजनशीलता को बढ़ाने के काम में लगे हैं। बच्चों को नए नए प्रयोग करने का मौका मिल रहा है और पढ़ाई लिखाई के अलावा कोरोना काल में प्रेरक कहानियां उन्हें नई जानकारियां दे रही हैं, वहीं विशेषज्ञ उनके कला कौशल को भी विकसित करने का काम कर रहे हैं।
ऑनलाइन गतिविधियों से जुड़ने वाली अनूपपुर निवासी आठवीं की छात्रा समृद्घि भटनागर का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण उनका घर से बाहर निकलना कम ही हो रहा है ऐसे में उन्हें चित्रकला से लेकर मुखोटे बनाने तक का प्रशिक्षण मिला, जिससे एक तरफ जहां उनका समय आसानी से कट गया, वहीं नई कला उनको सीखने का मौका मिला।
भोपाल की पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली गार्गी सोलंकी ऑनलाइन गतिविधियों से काफी उत्साहित है। उसका कहना है कि खेलने कम ही मिलता है, घर से ज्यादा बाहर नहीं निकलते ऐसे में ऑनलाइन कहानी सुनने मिल जाती है, मुखौटा बनाया और चित्र भी बनाए है