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EXCLUSIVE: फाइनल ईयर स्टूडेंट्स के विरोध के बीच UGC ने कहा- परीक्षा के दिशानिर्देशों में नहीं होगा कोई बदलाव

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को संशोधित दिशानिर्देशों को जारी करने बाद तीखी प्रतिक्रिया मिल रही है क्योंकि देश भर के लाखों छात्र सितंबर अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने के निर्णय वाले विश्वविद्यालयों के फैसले का विरोध कर रहे है।

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नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को संशोधित दिशानिर्देशों को जारी करने बाद तीखी प्रतिक्रिया मिल रही है क्योंकि देश भर के लाखों छात्र सितंबर अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने के निर्णय वाले विश्वविद्यालयों के फैसले का विरोध कर रहे है। देशभर से छात्र कुछ फैसलों पर अपनी असहमति जताने के लिए ट्विटर का सहारा ले रहे हैं। दरअसल, यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन के समक्ष इंडिया टीवी ने इस तरह की सभी चिंताओं को रखा।

कड़ा रुख अपनाते हुए उन्होंने कहा कि यूजीसी दिशा-निर्देशों के संशोधित सेट में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा है। हालांकि छात्रों की सुरक्षा हमारे लिए भी महत्तवपूर्ण है। उन्होंने इंडिया टीवी डिजिटल से कहा, "हमारे रुख में अभी कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिशा-निर्देश समान हैं।"

रजनीश जैन ने कहा "विश्वविद्यालयों को सितंबर के अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए कहा गया है और वे यूजीसी द्वारा निर्धारित किसी भी मोड के माध्यम से परीक्षा आयोजित करने के लिए स्वतंत्र हैं। 

यूजीसी के इस रुख को देखते हुए अभी के लिहाज से स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि वह कार्यक्रम में बदलाव करने के पक्ष में नही है। हालांकि देश की शीर्ष अदालत ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को और अधिक घटनाक्रम सामने आएंगे। 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कम से कम 31 छात्रों ने राहत पाने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायिक के दरवाजे को खटखटाया हैं।

छात्रों की याचिका में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई है। और रिजल्ट 31 जुलाई तक उनके आंतरिक मूल्यांकन या पिछले प्रदर्शन के आधार पर तय किए जाने चाहिए की मांग की गई है क्योंकि कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। इन याचिकाकर्ताओं में से एक छात्र COVID-19 पॉजिटिव मरीज है। याचिका में यूजीसी से सीबीएसई मॉडल को अपनाने और मूल्यांकन के आधार पर दिए गए अंकों के साथ संतुष्ट नहीं होने वाले छात्रों के लिए बाद की तारीख में एक परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देने की भी दलील दी गई है।

हाल ही में, यूजीसी ने कहा था कि उसे 818 विश्वविद्यालयों - 212 डीम्ड विश्वविद्यालयों, 291 निजी विश्वविद्यालयों, 51 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और 355 विश्वविद्यालयों से जवाब मिला। 818 विश्वविद्यालयों में से, 603 ने या तो परीक्षाएं आयोजित की हैं या करने की योजना बना रहे हैं। 209 अन्य लोगों ने पहले ही परीक्षा आयोजित की है, यूजीसी ने कहा कि 394 अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।

फाइनल ईयर के छात्र यश दुबे द्वारा शीर्ष अदालत में एक और याचिका दायर की गई है, जिसने अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की भी मांग की है। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भी बढ़ते कोरोनो वायरस मामलों के मद्देनजर परीक्षा के खिलाफ युवा सेना की ओर से अदालत का रुख किया।

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