नई दिल्ली। वास्तुशिल्प उद्योग से जुड़े शुभम भारद्वाज का व्यवसाय लॉकडाउन के दौरान धीमा पड़ गया है और उनके बच्चों के स्कूल से फीस भरने का नोटिस आ गया है। इसी तरह तृषा भाटिया ने स्कूल को फीस देर से अदा करने के संबंध में जानकारी मांगी है क्योंकि लॉकडाउन के कारण उन्हें इस महीने 20 प्रतिशत कम वेतन मिला है। शुभम और तृषा उन तमाम अभिभावकों में शामिल हैं जो इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि सरकार उन्हें फीस को लेकर कुछ राहत उपलब्ध कराए। हालांकि स्कूलों का कहना है कि कक्षाएं ऑनलाइन जारी हैं और उन्हें शिक्षकों को भी वेतन देना है। अभिभवकों का यह भी कहना है कि स्कूलों द्वारा तैराकी और घुड़सवारी सहित परिवहन और विविध गतिविधियों के नाम पर कई शुल्क लगाए गए हैं, जो वास्तव में लॉकडाउन के कारण आयोजित ही नहीं हो पा रही हैं।
वहीं, गुड़गांव और नोएडा में अभिभावकों को इस संबंध में राहत मिल गई है। नोएडा प्रशासन ने रविवार को नोएडा और ग्रेटर नोएडा स्थित स्कूलों को आदेश दिया कि वे लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों पर फीस देने का दबाव न बनाएं। हरियाणा सरकार ने भी ऐसा ही एक आदेश पिछले सप्ताह जारी किया था। भारद्वाज ने कहा,‘‘जब गुड़गांव और नोएडा में ऐसा हो सकता है तो दिल्ली के स्कूल ऐसा क्यों नहीं कर सकते। लॉकडाउन के दौरान राहत पैकेज की घोषणा कर सरकार को इस समस्या का निदान करना चाहिए।’’
दिल्ली अभिभावक संघ ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर फीस पर अभी स्थगन लगाने की मांग की है। शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों के अनुसार विभिन्न पक्षों से सुझाव लिए जा रहे हैं और इसका समाधान निकाला जाना अभी बाकी है। निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में अभिभावकों के संदेश मिल रहे हैं लेकिन स्कूलों का कहना है कि उन्हें भी शिक्षकों/कर्मचारियों को वेतन देना है जो एक चिंता का विषय है। सरकार इसका समाधान निकालने की कोशिश कर रही है। अगर किसी के पास इसका कोई ठोस उपाय है तो वे इस संबंध में निदेशालय से संपर्क करें।
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