नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के निजी स्कूलों को कोरोना वायरस के कारण कक्षाएं नहीं चलने के कारण उस अवधि के शुल्क में छूट देने का निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका में स्कूलों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि उनके यहां पढ़ने वाले बच्चों पर शुल्क का भुगतान करने के लिए दबाव नहीं बनाया जाए। इसमें दिल्ली सरकार को यह निर्देश देने की भी मांग की गयी है कि शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन तथा अन्य खर्चों को उठाने के लिए स्कूलों को पर्याप्त राशि मुहैया कराई जाए।
वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी ने कहा कि उन्होंने बुधवार को रजिस्ट्रार के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा उपलब्ध कराये गये लिंक पर एक पत्र भी डाला। इस पत्र में उन्होंने विषय पर तत्काल सुनवाई की जरूरत बताई थी। लेकिन रजिस्ट्री ने उन्हें सूचित किया कि तत्काल सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने का उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति बनने के बाद लाखों अभिभावक आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और इनमें से अधिकतर लोग असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले हैं और सभी के पास सुरक्षित नौकरी नहीं है।
इसमें कहा गया कि छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं, जिन्हें स्कूलों में लगने वाली वास्तविक कक्षाओं के समकक्ष नहीं माना जा सकता क्योंकि मार्च 2020 से स्कूल बंद हैं और उनकी भौतिक सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
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