'बेहतर शिक्षा से वंचित रही बड़ी बहन की ख्वाहिश ने भरा बुलंदी छूने का जज्बा'
यह बहन की ख्वाहिश को परवान चढ़ाने की दिल छू लेने वाली कहानी है। विडम्बना के कारण अच्छी तालीम न हासिल कर सकी बहन के मलाल को दूर करने के जज्बे ने एक गरीब किसान के बेटे को अमेरिकी यूनिवर्सिटी की राह पकड़ा दी।
लखनऊ। यह बहन की ख्वाहिश को परवान चढ़ाने की दिल छू लेने वाली कहानी है। विडम्बना के कारण अच्छी तालीम न हासिल कर सकी बहन के मलाल को दूर करने के जज्बे ने एक गरीब किसान के बेटे को अमेरिकी यूनिवर्सिटी की राह पकड़ा दी। अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिला हासिल करने वाले छात्र अनुराग तिवारी के लिये यह उपलब्धि कोई अनमोल सपना सच होने से कम नहीं है। इस मशक्कत के दौरान अपनी बहन की ख्वाहिश रूपी प्रेरणा हमेशा उनके साथ रही।
मजबूरियों के कारण अच्छी शिक्षा से वंचित रही बहन की ख्वाहिश ने उनमें यह बुलंदी छूने का जज्बा भरा। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के सरसन गांव के सीमांत किसान कमलापति की सबसे छोटी संतान अनुराग को पूर्ण स्कॉलरशिप के तहत कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला है। उन्होंने अमेरिकी यूनिवर्सिटी में प्रवेश के लिये पिछले साल स्कोलास्टिक असेसमेंट टेस्ट पास कर लिया था। मगर उनका दाखिला सीबीएसई परीक्षा में आये अंकों पर भी निर्भर था।
हाल में घोषित सीबीएसई के परिणाम में उन्हें 98.2 फीसद अंक हासिल हुए और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिले का उनका रास्ता साफ हो गया। गरीबी भरा बचपन देखने वाले अनुराग ने 'भाषा' को बताया कि उनकी तीन बड़ी बहनें हैं। उनमें से शिल्पी बहुत अच्छी कलाकार हैं। गांव के ही स्कूल और कस्बे के कॉलेज में पढ़ी शिल्पी बाहर के किसी अच्छे कॉलेज या विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहती थीं, मगर सामाजिक वर्जनाओं और तंगी ने पैरों में बेड़ियां डाल दीं।
इस वजह से पिता उन्हें बाहर नहीं भेज सके। हालात के थपेड़ों के आगे शिल्पी का यह ख्वाब बिखर गया। मगर, उस मलाल ने उनके मन में एक नया सपना बुन दिया। शिल्पी ने ख्वाहिश जाहिर की कि अनुराग वैसी तालीम हासिल करे जिससे वह खुद वंचित रह गयी हैं। अनुराग ने बताया कि उन्होंने अपनी बहन के इस ख्वाब को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया। बहन की यह इच्छा उनकी ताकत बन गई और उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिला हासिल करके उनकी मुराद पूरी कर दी। अनुराग के पिता कमलापति सीमांत किसान हैं, लिहाजा मुफलिसी मानो परिवार की नियति बन चुकी थी। अनुराग हमेशा चाहते थे कि जिंदगी में कुछ बड़ा करके परिवार को सारी खुशियां दें।
इसने भी उन्हें कड़ी मेहनत के लिये प्रेरित किया। हमेशा से ज़हीन छात्र रहे 18 वर्षीय अनुराग अर्थशास्त्री बनना चाहते हैं। वह कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और गणित से स्नातक करने के बाद और ऊंची तालीम हासिल करेंगे। अर्थशास्त्री बनने के बाद वह अपने देश लौटकर उन छात्रों की मदद करना चाहते हैं जो सपने तो देखते हैं लेकिन उन्हें साकार करने का रास्ता न पाकर निराशा के अंधेरों में खो जाते हैं। अनुराग अपनी इस उपलब्धि के लिये सीतापुर स्थित 'विद्या ज्ञान' स्कूल के अपने सभी शिक्षकों के भी शुक्रगुजार हैं। वह कहते हैं कि प्राइमरी स्कूल के एक शिक्षक के सुझाव पर उन्होंने वर्ष 2013 में फार्म भरा और उन्हें स्कूल की छठी कक्षा में दाखिला मिल गया। उसके बाद से उनकी जिंदगी बदल गयी।
इस स्कूल में उन्हें विश्वस्तरीय शिक्षा मुफ्त मिली। इसने उनकी सोच को बिल्कुल बदल डाला और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिये जरूरी आत्मविश्वास दिया। शिव नाडर फाउंडेशन से भी मदद मिली। अनुराग ने हाल में आये सीबीएसई के 12वीं के नतीजों में 98.2 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। घोषित परीक्षा परिणाम के अनुसार उन्होंने गणित में 95, अंग्रेजी में 97, राजनीति विज्ञान में 99 और इतिहास तथा अर्थशास्त्र में पूरे 100 अंक प्राप्त किए हैं। अनुराग को गत 12 दिसंबर को वाइस प्रोवोस्ट फॉर एनरोलमेंट की तरफ से जो पत्र मिला था उसमें उन्हें कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए इजाजत दी गई है। हालांकि उनका प्रवेश इस पर निर्भर था कि सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में उनके कैसे नंबर आते हैं।