नई दिल्ली। देश में नई शिक्षा नीति को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) ने विद्यार्थियों की अपेक्षाओं को मूर्त रूप देने वाला करार दिया है। साथ ही उसने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के युवाओं के समग्र विकास का व्यावहारिक खाका है। इस शिक्षा नीति में विद्यार्थी के व्यक्तित्व एवं कौशल विकास, व्यवसायिक चेतना, मानसिक स्वास्थ्य, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, प्राथमिक स्तर पर स्थानीय या मातृभाषा में शिक्षा, संगीत, कला, खेल, विज्ञान, कॉमर्स आदि विषयों को रुचि अनुसार पढ़ने के महत्वपूर्ण अवसर हैं। शिक्षा क्षेत्र में लैंगिक समानता, स्कॉलरशिप, शोध को दिशा देने, निजी शैक्षिक संस्थानों में शुल्क के नियंत्रण से विद्यार्थियों को फायदा होगा।
एबीवीपी की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा शिक्षा क्षेत्र में जिस समग्रता तथा विशिष्टता की आवश्यकता थी, उस ओर राष्ट्र ने कदम बढ़ा दिए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय करने की सिफारिश निश्चित ही हमारे ज्ञान आधारित समाज निर्माण के संकल्प को पूर्ण करने की इच्छाशक्ति को दिखाता है।"
निधि त्रिपाठी ने कहा कि अब शिक्षा क्षेत्र के सभी हितधारकों को सजगता से शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए अपनी भूमिका निर्वहन करने के लिए तैयार रहना होगा। केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकारों के बेहतर समन्वय से ही देश शिक्षा क्षेत्र के नए लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है, हम आशा करते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें बेहतर समन्वय स्थापित कर भारत के करोड़ों छात्र-छात्राओं के साथ न्याय करेंगी।
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