नई दिल्ली। कोरोनावायरस के कारण फिलहाल सभी स्कूल, कॉलेज एवं अन्य शिक्षण संस्थान पूरी तरह से बंद है। हालांकि यह संकट समाप्त होने के बाद भी अब विभिन्न विश्वविद्यालयों में 25 प्रतिशत शिक्षण कार्य ऑनलाइन माध्यमों के जरिए पूर्ण किया जाएगा। शिक्षा को लेकर इस नई नीति से मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अवगत कराया गया है। ऑनलाइन शिक्षा पर आधारित इस नीति के तहत देशभर के विभिन्न कॉलेजों में फिलहाल 75 फीसदी पढ़ाई क्लासरूम में होगी, जबकि पढ़ाई का 25 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन माध्यमों के जरिए पूरा किया जाएगा। ऑनलाइन पढ़ाई स्काइप, किसी अन्य मीटिंग एप आदि के जरिए करवाई जा सकती है।
वहीं सभी कॉलेजों में वायवा ऑनलाइन लेने की सिफारिश भी की गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) द्वारा गठित की गई विशेष कमेटी ने यह सिफारिश की है, जिसे स्वीकार किया जा चुका है। इस कमेटी के अध्यक्ष हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति आर सी कुहाड़ हैं।
आर सी कुहाड़ ने कहा, "कोरोना संकटकाल के उपरांत भी यदि सामान्य दिनों में पढ़ाई का 25 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन माध्यमों के जरिए पूरा किया जाए तो यह बदलते समय के अनुरूप उपयुक्त होगा। विश्वविद्यालय इस दिशा में प्रयासरत है और मानव संसाधन विकास मंत्री भी इस विषय को लेकर लगातार प्रयासरत। अब ऑनलाइन अध्ययन समय की मांग है।"
यूजीसी द्वारा गठित इस विशेष कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "वार्षिक परीक्षा 50 फीसदी अंकों की होनी चाहिए जबकि अन्य 50 फीसदी अंक पूर्व में आयोजित सेमेस्टर परीक्षा के प्रदर्शन पर आधारित किए जाएं। इसके अलावा अकाद्मिक सत्र 2020-21 में 40 फीसदी पाठ्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से करवाएं जा सकते हैं।"
उच्च शिक्षा को लेकर तैयार किए गए कार्यक्रम में एमफिल और पीएचडी के छात्रों को विशेष राहत प्रदान की है। एमफिल और पीएचडी करने वालों को थीसिस जमा करने के लिए तय आखिरी तारीख से 6 माह और दिए जाएंगे।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से कालेजों में परीक्षा का समय घटाने की सिफारिश की गई है। यूजीसी को भेजी गई सिफारिश में कहा गया है कि परीक्षा का समय घटा कर तीन घंटे की जगह दो घंटे कर देना चाहिए।
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