बीजिंग। चीन में होने वाले सालाना कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम यानी काओ खाओ को दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इस परीक्षा में हर साल लाखों की संख्या में छात्र हिस्सा लेते हैं। यह एक ऐसा एग्जाम होता है जो बारहवीं पास करने के बाद छात्रों के आगे के कॉलेज और भविष्य की दिशा तय करता है। चीनी छात्रों की लाइफ की यह सबसे अहम परीक्षा इस वर्ष 7 जुलाई को शुरू हुई, जो कि विभिन्न प्रांतों में दो से चार दिन तक चलेगी।
बताया जाता है कि इस परीक्षा में एक करोड़ सात लाख दस हजार छात्र अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। हर साल इस एग्जाम में बैठने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में इजाफा होता है। इस बार वर्ष 2019 की तुलना में 4 लाख अधिक स्टूडेंट काओ खाओ दे रहे हैं। पूरे चीन में 7 हजार से अधिक जगहों पर 4 लाख से ज्यादा एग्जाम हॉल तैयार किए गए हैं। यहां बता दें कि कोरोना महामारी का संकट खड़ा होने के बाद किसी भी देश में इतने बड़े स्तर पर होने वाला यह पहला सामूहिक एग्जाम है।
चीन सरकार के संबंधित विभागों ने देशव्यापी परीक्षा के सफल आयोजन के लिए हर तरह के पुख्ता इंतजाम किए हैं। कोविड-19 महामारी के चलते एग्जाम हॉल में प्रवेश करने से पहले छात्रों के शरीर का तापमान भी लिया गया। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के साथ-साथ मॉस्क पहनना भी अनिवार्य किया गया है ताकि कोई भी संक्रमित छात्र परीक्षा कक्ष में न जा सके।
गौरतलब है कि आमतौर पर काओ खाओ यानी विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा जून महीने की शुरुआत में आयोजित होती है। लेकिन कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस बार इसे एक महीने से ज्यादा वक्त तक स्थगित करना पड़ा। यहां बता दें कि चीन में विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए देश भर में एक साथ परीक्षा आयोजित की जाती है। इस परीक्षा को लेकर छात्र बहुत तैयारी में जुटे होते हैं, इसके चलते उन पर भारी तनाव भी होता है।
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