नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस याचिका पर दिल्ली विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है जिसमें कोविड-19 के मद्देनजर स्नातक और परास्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए एक जुलाई से ऑनलाइन ओपन-बुक परीक्षा कराने के उसके फैसले को चुनौती दी गई है। ‘ओपन-बुक’ परीक्षा में परीक्षार्थियों को सवालों के जवाब देते समय अपने नोट्स, पाठ्य पुस्तकों और अन्य स्वीकृत सामग्री की मदद लेने की अनुमति होती है। छात्र अपने घरों में बैठकर वेब पोर्टल से अपने-अपने पाठ्यक्रम के प्रश्न पत्र डाउनलोड करेंगे और दो घंटे के भीतर उत्तर-पुस्तिका जमा करेंगे।
न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी करते हुए उससे तीन छात्रों की याचिका पर जवाब दायर करने के लिए कहा। ये तीनों छात्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हैं जिन्होंने दलील दी कि इस तरह की परीक्षा से केवल संपन्न छात्रों को ही फायदा मिलेगा। याचिकाकर्ता छात्र अभिषेक, शरणजीत कुमार और दीपक ने दलील दी कि ‘‘संपन्न छात्रों’’ के पास परीक्षाओं के दौरान ‘‘मेधावी माता-पिता, दोस्त, गैजेट्स और सर्च इंजनों’’ का सहयोग होगा जबकि उनके गरीब सहपाठियों के पास ये सभी सुविधाएं नहीं होंगी।
वरिष्ठ वकील जे पी सिंह और वकील आयुषी चुग के माध्यम से याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि यह पता लगाने का कोई तरीका नहीं है कि ओपन-बुक परीक्षाओं के दौरान कौन नकल कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट की उचित कनेक्टिविटी और बिजली न होने से ग्रामीण इलाकों के गरीब छात्रों के प्रदर्शन पर असर पड़ेगा। अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 18 जून की तारीख तय की है।
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