नई दिल्ली। पीयर्सन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार कोरोना वायरस महामारी और उसके कारण लागू लॉकडाउन का दौर बीतने के बाद स्कूल और कालेजों को स्थायी तकनीकी अवसंरचना में निवेश करना होगा जिसमें अध्यापकों का प्रशिक्षण डिजिटल वातावरण में काम करने के कौशल पर केंद्रित होगा और उच्च शिक्षण संस्थानों में परीक्षा पारंपरिक तरीकों की बजाय ऑनलाइन माध्यम से कराई जाएगी। लंदन स्थित पीयर्सन शैक्षिक प्रकाशन और परीक्षण के क्षेत्र में स्कूलों और छात्रों को वैश्विक स्तर पर सेवा देने वाली अग्रणी कंपनी है।
कोविड-19 का दौर बीतने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में उभरने वाले आयामों पर किए गए अध्ययन में कहा गया, “कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटल माध्यम से अधिक मात्रा में लोग पढ़ाई कर रहे हैं और कम अवधि वाले पाठ्यक्रम भी लोकप्रिय हो रहे हैं। इन बदलावों से कठिनाई तो हो रही है लेकिन इनसे शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के उदाहरण भी सामने आ रहे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि शैक्षणिक जगत में डिजिटल माध्यम का प्रभाव लंबे समय तक रहने वाला है।”
अध्ययन में कहा गया, “स्कूल और कालेजों में पढ़ाई करने के लिए डिजिटल माध्यम का प्रयोग और अधिक किया जाएगा। शैक्षणिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए व्हाट्सएप्प, जूम,टीम जैसे ऐप और ईमेल का प्रयोग बढ़ेगा। अकादमिक संस्थान ऐसी अवसंरचना का विकास करेंगे जिसमें अध्यापक और छात्र अकादमिक परिसर से बाहर रहते हुए भी पठन-पाठन कर सकेंगे। संस्थान ऐसे स्थायी तकनीकी अवसंरचना में निवेश करेंगे जिसके माध्यम से गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा दी जा सकेगी।” विभिन्न देशों में अपनाए जा रहे तरीकों के आधार पर किए गए अध्ययन के अनुसार उच्च शिक्षण संस्थान परीक्षा के पारंपरिक तरीकों की बजाय ऑनलाइन माध्यम से छात्रों का मूल्यांकन करेंगे।
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