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Hindi News झारखण्ड झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: बोरियो सीट पर होती रही है कांटे की टक्कर, जानें इस बार क्यों बदले समीकरण

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: बोरियो सीट पर होती रही है कांटे की टक्कर, जानें इस बार क्यों बदले समीकरण

बोरियो विधानसभा सीट पर किसी भी एक पार्टी का वर्चस्व देखने को नहीं मिला है और यहां कभी भारतीय जनता पार्टी तो कभी झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार अपना-अपना परचम लहराते रहे हैं।

Jharkhand Assembly Elections 2024, Borio, Borio political situation- India TV Hindi Image Source : INDIA TV झारखंड की बोरियो विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा।

Borio Assembly Seat: झारखंड में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है और सूबे की सभी 81 सीटों पर 2 चरणों में मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 13 नवंबर 2024 को होगा जबकि दूसरे चरण के लिए 20 नवंबर 2024 को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 23 नवंबर 2024 को की जाएगी। साहेबगंज जिले में पड़ने वाली बोरियो विधानसभा सीट पर भी 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। यह विधानसभा क्षेत्र राजमहल लोकसभा सीट के अंतर्गत पड़ने वाली 6 विधानसभा सीटों में से एक है। 2019 के चुनाव में इन 6 सीटों में से बीजेपी सिर्फ एक पर ही कब्जा जमा पाई थी।

बोरियो सीट का चुनावी इतिहास

बोरियो विधानसभा सीट पर किसी भी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा है। 2000 के विधानसभा चुनाव में यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता लोबिन हेम्ब्रम ने जीती थी तो 2005 में बीजेपी नेता ताला मरांडी ने बाजी मारी थी। 2009 के विधानसभा चुनाव में लोबिन हेम्ब्रम ने अपनी हार का बदला ले लिया और ताला मरांडी को हरा दिया। 2014 में बीजेपी के टिकट पर ताला मरांडी ने एक बार फिर लोबिन हेम्ब्रम को हराया। 2019 में बाजी फिर पलट गई और ताला मरांडी को JMM नेता लोबिन हेम्ब्रम के हाथों हार झेलनी पड़ी।

2024 के चुनाव में क्या हैं समीकरण

2024 के झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले JMM नेता और मौजूदा विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने बीजेपी का दामन थाम लिया और पार्टी ने उन्हें इस सीट से टिकट भी दे दिया है। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। अब देखना यह है कि महागठबंधन की तरफ से इस सीट पर किसे उतारा जाता है। बता दें कि झारखंड में इस समय महागठबंधन की सरकार है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार सत्ता के बरकरार रहने का दावा कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी का कहना है कि जनता हेमंत सोरेन सरकार से त्रस्त है और उसे सत्ता से उखाड़ फेंकना चाहती है।