मौत की सच्चाई से अनजान, शहीद पिता को आज भी वॉयस कॉल करता है बेटा-सुनकर भर आएंगी आंखें
आतंकी मुठभेड़ में अपनी शहादत देने वाले शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह का बेटा कबीर आज भी अपने पिता को वॉयस मैसेज भेजता है और जिद करता है कि एक बार बस वीडियो कॉल कर लो। उसे अबतक जिंदगी और मौत की सच्चाई नहीं पता।
अनंतनाग: प्यार और मौत की एक दिल दहला देने वाली कहानी सुनकर आपकी भी आंखें भर आएंगी। सात साल का बच्चा कबीर, जो इस कठोर वास्तविकता से अनजान है कि उसके पिता अब उससे मिलने कभी वापस नहीं आएंगे। वह बच्चा कबीर लगातार अपने पिता कर्नल मनप्रीत सिंह के मोबाइल नंबर पर वॉयस मैसेजेज भेजता है और उनसे वापस आने की गुहार लगाता है। वह मैसेज में एक ही बात कहता है "पापा बस एक बार आ जाओ, फिर मिशन पे चले जाना।" वह ये मैसेज अपनी मां से छिपाकर रिकॉर्ड करता है जिसमें वह बहुत ही धीमी आवाज में अपना मैसेज भेजता है और कहता है कि बस एक बार वीडियो कॉल कर लो।
पिछले साल आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए थे मनप्रीत
शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह पिछले साल 13 सितंबर एक संयुक्त अभियान के दौरान अन्य सैनिकों के साथ गडूल गांव के आसपास के जंगलों में आतंकवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ में शामिल हुए थे। अपने साहस के बावजूद, कर्नल सिंह, मेजर आशीष धोंचक, जे-के पुलिस उपाधीक्षक हुमायुं भट और सिपाही प्रदीप सिंह ने आतंकियों से मुठभेड़ में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, जिससे उन लोगों के दिलों में एक खालीपन आ गया जो उन्हें जानते थे और उनकी प्रशंसा करते थे।
19 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) यूनिट के एक सम्मानित कमांडिंग ऑफिसर, कर्नल सिंह को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के लारकीपोरा, ज़ालदूरा और कोकरनाग के सबसे अधिक आतंकवाद प्रभावित इलाकों में एक नायक के रूप में याद किया जाता है। कई स्थानीय लोग उन्हें इन क्षेत्रों में बहादुरी, नेतृत्व और निस्वार्थ बलिदान के प्रतीक के रूप में याद करते हैं। उनकी यादें आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।'
कर्नल सिंह की अनुपस्थिति उनके परिवार के सदस्यों, विशेषकर उनकी पत्नी जगमीत पर भारी पड़ती है, जो उस समय को स्पष्ट रूप से याद करती हैं जब उन्होंने दो चिनार के पेड़ लगाए थे और प्यार से उनका नाम अपने बच्चों - कबीर और वाणी - के नाम पर रखा था। वो बताता हैं कि "उन्होंने कहा था कि हम 10 साल बाद इन पेड़ों को फिर से देखने के लिए लौटेंगे। लेकिन अब...," यह कहकर वो भावुक हो जाती हैं।
पति की शहादत से सदमे में है पत्नी
जगमीत ने मोहाली से फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया कि कर्नल सिंह कश्मीर में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रति कितने भावुक थे और उन्होंने अपने बच्चों को यह समझाने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में भी बताया कि हो सकता है वह वापस नहीं लौटेंगे। उन्होंने कहा, ''अक्सर मान (कर्नल मनप्रीत) को रात के अंधेरे में फोन आते थे और वह तुरंत सुनिश्चित करते थे कि उन्हें मदद प्रदान की जाए।''
उन्होंने कहा कि उनके पति को स्थानीय लोगों ने शादी, बच्चे के जन्म और ईद का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित किया था। जगमीत ने कहा, "यह एक बड़े परिवार की तरह था। जगमीत ने उनके साथ अपनी आखिरी बातचीत, जो 32 सेकंड तक चली थी, को याद करते हुए कहा, " उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन में हूं (मैं ऑपरेशन में हूं) उनके आखिरी शब्द थे, इससे पहले मैंने उनसे कभी नहीं सुना था।"
(इनपुट-पीटीआई भाषा)