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Hindi News जम्मू और कश्मीर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 21वें दिन खत्म किया अनशन, लद्दाख के लिए कर रहे थे ये मांग

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 21वें दिन खत्म किया अनशन, लद्दाख के लिए कर रहे थे ये मांग

वांगचुक ने भूख हड़ताल समाप्त करते हुए कहा कि मैं लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों और लोगों के राजनीतिक अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखूंगा।

 जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक - India TV Hindi Image Source : FILE- ANI जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक

प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने 21वें दिन अपना अनशन खत्म कर दिया है। सोनम वांगचुक लद्दाख को राज्य का दर्जा और नाजुक हिमालयी पारिस्थितिकी की सुरक्षा की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर रहे थे। वह 21 दिनों तक सिर्फ पानी पीकर जीवित रहे। अनशन खत्म करने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

 वांगचुक ने कही ये बात

 वांगचुक ने भूख हड़ताल समाप्त करते हुए कहा कि मैं लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों और लोगों के राजनीतिक अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखूंगा। अनशन समाप्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हजारों लोग एकत्र हुए और महिला समूहों ने कहा है कि वे अब उन्हीं मांगों को लेकर भूख हड़ताल शुरू करेंगी।

केंद्र सरकार से की थी ये अपील

इससे पहले मंगलवार को वांगचुक ने केंद्र सरकार से लद्दाख के लोगों की मांगों को पूरा करने का आग्रह किया था। एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में उन्होंने पानी के जमे हुए गिलास की ओर इशारा किया था और कहा था कि तापमान -10 डिग्री सेल्सियस तक गिरने के बावजूद 350 लोग उनके साथ उपवास में शामिल हुए। कार्यकर्ता ने कहा, "हम लद्दाख में हिमालय के पहाड़ों के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और यहां पनपने वाली अद्वितीय स्वदेशी जनजातीय संस्कृतियों की रक्षा के लिए अपने प्रधानमंत्री से अपील कर रहे हैं।

लद्दाख के लोग कर रहे आंदोलन

बता दें कि लद्दाख में लेह और कारगिल जिले शामिल हैं। 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद लद्दाख एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया।बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं द्वारा राज्य का दर्जा और अधिकारों की सुरक्षा की मांग को लेकर लेह की सर्वोच्च संस्था और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के बैनर तले हाथ मिलाने के बाद इस साल की शुरुआत में केंद्र शासित प्रदेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और भूख हड़तालें होने लगीं।