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Hindi News जम्मू और कश्मीर जम्मू-कश्मीर की भी स्थिति हिमाचल और उत्तराखंड जैसी हो सकती है, महबूबा मुफ्ती ने ऐसा क्यों कहा?

जम्मू-कश्मीर की भी स्थिति हिमाचल और उत्तराखंड जैसी हो सकती है, महबूबा मुफ्ती ने ऐसा क्यों कहा?

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमारी पहचान आर्टिकल- 370 को गैर-कानूनी तरीके से हमसे छीन लिया गया और अब हमारी जमीन भी छीनी जा रही है।

जम्मू-कश्मीर को लेकर महबूबा मुफ्ती का बयान- India TV Hindi जम्मू-कश्मीर को लेकर महबूबा मुफ्ती का बयान

पीडीपी प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य की भूमि और संसाधनों पर केंद्र सरकार द्वारा की जा रही परियोजनाओं को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान आर्टिकल- 370 को गैर-कानूनी तरीके से हमसे छीन लिया गया और अब हमारी जमीन भी छीनी जा रही है। कई परियोजनाओं के तहत कृषि भूमि और जंगल की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। इन परियोजनाओं का पानी के स्रोतों पर भी प्रभाव पड़ रहा है।

"हड़बड़ी में किए गए निर्माण कार्यों ने तबाही मचाई"

महबूबा मुफ्ती ने राजौरी से लेकर शोपियां, बडगाम और पुलवामा तक के जिलों का उदाहरण दिया, जहां कृषि भूमि के बड़े हिस्से को परियोजनाओं के तहत लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी अब तक किया गया, वह काफी नहीं लगता और अब वे हमारी जमीन का सबकुछ छीन लेना चाहते हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के जोशीमठ का उदाहरण देते हुए कहा कि हमने देखा है कि वहां के क्षेत्रों में हड़बड़ी में किए गए निर्माण कार्यों ने तबाही मचाई है। यही स्थिति कश्मीर में भी हो सकती है।

योजनाओं को रोकने के लिए सीएम उमर से अपील 

इसके अलावा महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से अपील की कि वे इन योजनाओं को रोकने के लिए कदम उठाएं। उन्होंने कहा, "हम आर्टिकल- 370 के बारे में आपसे कुछ नहीं पूछेंगे, क्योंकि आपको इसके बारे में कोई कदम उठाने की हिम्मत नहीं है, लेकिन सड़क निर्माण के मामले में आप कम से कम कुछ काम तो कर सकते हैं।" उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब स्थानीय लोगों को निर्माण करने से रोका जा रहा है, तो 1 लाख कनाल पर 30 नए टाउनशिप परियोजनाएं क्यों बनाई जा रही हैं? ये टाउनशिप किसके लिए बनाई जा रही हैं?" महबूबा ने चेतावनी दी कि अगर कश्मीर की जमीन पर इस तरह के हमले जारी रहे, तो कश्मीरियों को उत्तर प्रदेश और बिहार में मजदूरों के रूप में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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