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जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव: उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल से नामांकन किया, बडगाम से भी लड़ सकते हैं चुनाव

जम्मू कश्मीर चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल से नामांकन कर दिया है।

Omar Abdullah- India TV Hindi Image Source : ANI उमर अब्दुल्ला

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। इस बीच खबर मिली है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल से नामांकन कर दिया है। सूत्रों के हवाले से ये खबर भी है कि वह बडगाम विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ सकते हैं। उमर अब्दुल्ला अपना नामांकन पत्र भरने के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बेहद भावुक हो गए। उन्होंने अपने सिर से अपनी टोपी उतारकर लोगों से वोट देने की अपील की। उमर ने लोगों से कहा कि मैं आपसे हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि चुनाव में मेरी इज्जत की हिफाजत करें।

गांदरबल से नामांकन के बाद क्या बोले उमर?

उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'मैंने गांदरबल से (नामांकन) पर्चा भर दिया है। आइए इस बारे में बात न करें कि कौन कहां से चुनाव लड़ रहा है। गांदरबल के लोगों ने मुझे तीन बार संसद सदस्य और एक बार विधायक के रूप में चुना है। मैंने इश्फाक जब्बार के लिए अपनी सीट सिर्फ इसलिए छोड़ दी क्योंकि मैंने उनसे ऐसा करने का वादा किया था और फिर वह विधायक बन गए लेकिन उन्होंने गांदरबल के लोगों को धोखा दिया। आज हम गांदरबल के विकास के लिए चुनाव लड़ने जा रहे हैं।'

हालही में बीजेपी को किया था टारगेट

हालही में उमर ने कहा था कि उनका लक्ष्य बीजेपी के खिलाफ एकजुट मोर्चा पेश करना और उनकी सीटों को कम से कम करना है। एनसी उपाध्यक्ष ने कहा था कि जम्मू में पीर पंचाल और चिनाब सहित गठबंधन की निश्चित रूप से जरूरत थी। उन्होंने कहा, 'हमारा प्रयास बीजेपी के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाने का है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे कम से कम सीटें जीतें।' 

उमर अब्दुल्ला ने कहा था, 'हमने किसी भी सिद्धांत का त्याग नहीं किया है। हम जो लड़ाई लड़ने जा रहे हैं, उसमें विधानसभा की अपनी भूमिका है। मैं लोगों से क्या कहूं कि उन्हें विधानसभा में वोट देना चाहिए और अपने नेताओं का चुनाव करना चाहिए? लेकिन मैं इस विधानसभा में विश्वास नहीं करता हूं।'

परिवारवाद के सवाल पर एनसी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जो लोग मुझ पर ये आरोप लगा रहे हैं। उनके खुद के रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं। अगर वे अपने सिद्धांतों पर इतने सख्त हैं, तो उन्हें इससे पूरी तरह बाहर होना चाहिए था। अपने रिश्तेदारों को उम्मीदवार बनाकर खुद बाहर रहने का क्या फायदा है?