जम्मू कश्मीर की विजयपुर विधानसभा सीट के मतदाता विधायक नहीं मंत्री चुनते हैं। पढ़ने में यह वाक्य अटपटा लग सकता है, लेकिन इस सीट का इतिहास जानने के बाद इसे गलत कहना मुश्किल होगा। विजयपुर सीट से विधायक बनने वाले नेता बड़ी आसानी से मंत्रीपद हासिल कर लेते हैं। चाहे वह किसी भी पार्टी, गठबंधन या विचारधारा के रहे हों। यही वजह है कि कश्मीर में जब 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तो यह सीट एक बार फिर चर्चा में आ गई है। आइए जानते हैं विजयपुर सीट का इतिहास।
90 विधानसभा सीट वाले जम्मू कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। इस समय यहां से चंद्र प्रकाश गंगा को जीत मिली थी और सरकार का गठन होने के बाद उन्हें उद्योग मंत्री का पद भी मिला। इससे पहले का इतिहास देखें तो 1996 से सुरजीत सिंह सलाथिया ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के टिकट पर चुनाव जीती और बिजली मंत्री बने रहे। 2002 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले मनजीत सिंह कानून मंत्री बने।
सुरजीत का दबदबा
सुरजीत सिंह सलाथिया इस सीट से चुनाव लड़ने वाले सबसे बड़े नेताओं में से एक रहे हैं। हालांकि, 2021 में उन्होंने पाला बदला और अपने साथ कई अन्य नेताओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। हालांकि, कश्मीर के लोग इससे पहले ही बीजेपी के साथ जुड़ने लगे थे। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विजयपुर सीट से चंद्र प्रकाश गंगा को टिकट दिया। वे जीते और मंत्री पद मिला।
धारा 370 हटने के बाद पहला चुनाव
भारत सरकार ने 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित किया गया था। इसके बाद से यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। यहां विधानसभा चुनाव में मतदान 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। चुनावों के नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। आगामी विधानसभा चुनावों में भी लोग एक बार फिर विजयपुर विधानसभा सीट से जीतने वाले विधायक को मंत्री बनते देखा चाहते हैं।
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