जम्मू-कश्मीर के सभी बड़े मंदिरों का होगा कायाकल्प, राज्य सरकार खर्च करेगी 420 करोड़ रुपए
जम्मू-कश्मीर के सभी बड़े मंदिरों के कायाकल्प की तैयारियां हो रही हैं। राज्य सरकार इसके लिए 420 करोड़ रुपए खर्च करेगी। गौरतलब है कि आतंकवाद की वजह से कई मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए थे।
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर सरकार ने राज्य के सभी बड़े मंदिरों के कायाकल्प की योजना बनाई है। जम्मू-कश्मीर की धार्मिक विरासत को बचाने के लिए जम्मू कश्मीर सरकार 420 करोड़ रुपए की लागत से लगभग सभी बड़े मंदिरों का जीर्णोद्धार करेगी। पहले चरण में 17 मंदिरों और धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया जाएगा, जिस पर 17 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस पहल से कश्मीरी हिंदुओं में खुशी की लहर है, जो लंबे समय से अपने धार्मिक स्थलों के संरक्षण की मांग कर रहे थे।
आतंकवाद की वजह से क्षतिग्रस्त हुए कई मंदिर
कश्मीर घाटी में 1990 के दशक में आतंकवाद और हिंसा के दौर में क्षतिग्रस्त मंदिरों के जीर्णेद्धार का कार्य शुरु कर दिया गया है। सबसे पहले दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग और पुलवामा में 17 मंदिरो के संरक्षण और कायाकल्प के लिए 17 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की गई है। सरकार ने गहरी आस्था वाले कुल 71 धर्मस्थलों की सूची तैयार की है, जिनका जीर्णोद्धार होना है।
किन मंदिरों का होगा कायाकल्प?
इन धार्मिक स्थलों में कुछ अहम स्थल भी हैं। जिसमें पहलगाम का प्राचीन ममलेश्वर मंदिर और गौरी शंकर मंदिर, अनंतनाग जिले में अकिंगम में ऐतिहासिक शिव भगवती मंदिर, सालिया में पापरन नाग मंदिर, खीरम में माता रागन्या भगवती मंदिर, अनंतनाग के लोगरीपोरा अश्मुकाम में खीर भवानी मंदिर, सालिया में करकुट नाग मंदिर शामिल है। पुलवामा के गुफकराल त्राल, द्रंगबल पंपोर में श्री शिदेश्वर मंदिर है, जो वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, द्रंगबल पंपोर में शिव मंदिर भी है। इसके इलावा कई और छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनका जीर्णोद्धार पहले चरण में होना है।
कश्मीरी पंडितों में खुशी की लहर
सरकार के इस फैसले से कश्मीरी पंडित बेहद उत्साहित हैं। इंडिया टीवी से बात करते हुए कश्मीरी पंडितों ने कहा कि हम केंद्र और राज्य सरकार के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने यह कदम उठाया है। जितने भी हमारे तीर्थ और मंदिर हैं, उनको नवीनीकृत करने का कदम उठाया गया है। यह हमारी धरोहर हैं और जब तक हमारी धरोहर है, तब तक हम हैं। लोगों का कहना है कि मंदिरों को आबाद करने के साथ-साथ कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की भी कोशिश होनी चाहिए क्योंकि यह मंदिर तब आबाद रहेंगे, जब कश्मीरी पंडित यहां दोबारा लौट कर आएंगे।
बता दें कि सीएम उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने संबधित जिला उपायुक्तों की सिफारिशों के आधार पर पुरातत्व और संग्रहालय विभाग ने इन मंदिरों के संरक्षण, जीर्णोद्धार और विकास योजना को प्रशासकीय अनुमति दी है। जम्मू कश्मीर आर्कियोलॉजी विभाग की देखरेख में इन मंदिरों, तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार होगा। ये काम हर उस जिले में होगा, जहां इन परियोजनाओं के लिए प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है।
हालांकि कश्मीर में 2019 से ही वीरान और बंद पड़े मंदिरों में रेनोवेशन का काम शुरू किया गया है और बहुत सारे मंदिर तैयार भी हो चुके हैं। इससे कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की उम्मीद भी जग उठी है। कश्मीरी पंडितों की यह उम्मीद हकीकत में बदल जाए, इसका इंतजार कश्मीर घाटी के लोग भी बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं।