जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की सरकार ने मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया है। राज्य में 10 साल बाद नई सरकार का गठन हुआ है और पांच साल बाद राज्य सरकार का गठन हुआ है। धारा 370 हटने के बाद से कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू था। धारा 370 हटने के साथ ही जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया। इसके बाद लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया गया और इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
जम्मू कश्मीर अभी भी केंद्र शासित प्रदेश है, जहां राज्य सरकार चुनी जा सकती है और सरकार शासन भी कर सकती है। हालांकि, पूर्ण राज्य की तुलना में केंद्र शासित प्रदेश में राज्य सरकार की शक्तियां सीमित होती हैं। ऐसे में जम्मू कश्मीर के नेता मांग कर रहे हैं कि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। ऐसे में हमने जनता से भी इंडिया टीवी पोल में यही पूछा कि क्या राष्ट्रपति शासन हटने के बाद जम्मू-कश्मीर को अब राज्य का दर्जा भी मिलना चाहिए?
कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुश्किल
इंडिया टीवी पोल में लोगों के सामने हां, नहीं और कुछ कह नहीं सकते का विकल्प दिया गया था। इस पोल पर कुल 19,899 लोगों ने अपना मत दिया और उनमें से 26 फीसदी लोगों का मानना था कि अब जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य बना दिया जाना चाहिए। वहीं पोल में हिस्सा लेने वाले 68 फीसदी लोगों ने कहा कि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। बाकी के 6 फीसदी लोगों ने ‘कह नहीं सकते’ का विकल्प चुना। इस तरह देखा जाए तो एक बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि फिलहाल जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए।
Image Source : India TVइंडिया टीवी पोल
कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन सरकार
जम्मू कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार है। हालांकि, इसमें 42 सीटें अकेले नेशनल कॉन्फ्रेंस की हैं। वहीं, कांग्रेस को छह और सीपीएम को एक सीट मिली। हालांकि, कांग्रेस सरकार का हिस्सा नहीं है और बाहर से उमर अब्दुल्ला सरकार को समर्थन दे रही है। मुख्यमंत्री बनते ही उमर अब्दुल्ला ने पहली कैबिनेट बैठक में जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाने का प्रस्ताव पारित किया है। वह दिल्ली पहुंचकर पीएम मोदी को यह प्रस्ताव सौंपेंगे। हालांकि, इसके स्वीकार होने की संभावना बेहद कम दिखाई देती है।