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राजौरी में महबूबा मुफ्ती की रैली, पांच साल पुराने फैसले को याद कर कहा- यह कश्मीर के लोगों को मंजूर नहीं

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर के लोगों की जाति, धर्म और मजहब से इतर उनके लिए विशेष राज्य का दर्जा मायने रखता है और कश्मीर पहचान बनाए रखने के लिए मतदान करें।

Mahbooba Mufti- India TV Hindi Image Source : INDIA TV महबूबा मुफ्ती की रैली

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को चुनावी रैली में पांच साल पुराने फैसले को याद किया। 2019 में पीएम मोदी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के बाद पांच अगस्त के दिन जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके साथ ही इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। इसके बाद से राज्य में काफी तनावपूर्ण माहौल था। शांति बनाए रखने के लिए लंबे समय तक बड़ी संख्या में सेना के जवान यहां तैनात थे। अब लगभग पांच साल बाद यहां चुनाव हो रहे हैं और महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग दोबारा उठाई। 

बुधाल राजौरी में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग अपनी पहचान के लिए साथ खड़े हैं और पांच अगस्त 2019 के दिन लिया गया फैसला वापस लिया जाना चाहिए। विशेष राज्य का दर्जा छीना जाना कश्मीर में किसी भी धर्म, जाति या मजहब के लोगों को स्वीकार नहीं है। 

हमारी पहचान छीनी

महबूबा ने कहा कि कश्मीर के लोगों की पहचान छीनी गई है। लद्दाख के लोग यहां हो रहे बदलावों के खिलाफ लगातार विरोध कर रहे हैं। व्यापारियों को भी ऐसा लग रहा है कि उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं। लोगों से उनके संसाधन छीने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोजमर्रा के मुद्दे उठाने वाले युवाओं के खिलाफ पीएसए की धारा लगाकर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में बनने वाली बिजली अन्य राज्यों को मुफ्त में मिल रही है और यहां इसकी कीमतें 10 गुना तक बढ़ गई हैं। प्रशासन ऐसा दिखा रहा है कि यहां दूध की नदियां बह रही हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है। 

यह चुनाव हमारी पहचान के लिए अहम

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह चुनाव कश्मीर की पहचान के लिए अहम है। उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस से भी अपील करते हुए कहा कि मौजूदा चुनाव में ओछी राजनीति नहीं करनी चाहिए। यह कश्मीर के लोगों की पहचान के बारे में है। यह संसद में कड़ा संदेश देने का मौका है। सत्ता में काबिज लोगों को यह बताना जरूरी है कि जाति, धर्म और मजहब से इतर कश्मीर के लोग अपनी जमीन और अपनी पहचान की रक्षा हर हाल में करेंगे।

(राजोरी से मंजूर मीर की रिपोर्ट)

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