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Hindi News जम्मू और कश्मीर लोहे से ढके बंकर और मानव रहित लड़ाकू उपकरण बना रहा चीन, एलओसी के पास पाकिस्तान के साथ बढ़ाया सैन्य सहयोग

लोहे से ढके बंकर और मानव रहित लड़ाकू उपकरण बना रहा चीन, एलओसी के पास पाकिस्तान के साथ बढ़ाया सैन्य सहयोग

चीन और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर लगातार सहयोग बढ़ रहा है। इसी कड़ी में चीन लोहे से ढके बंकरों का निर्माण कर रहा है। साथ ही मानव रहित लड़ाकू हवाई उपकरणों की तैनाती भी कर रहा है।

China is building iron covered bunkers and unmanned combat equipment increasing military cooperation- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

चीन बीते तीन साल से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान के लिए रक्षा सहयोग लगातार बढ़ा रहा है, जिसमें लोहे से ढके बंकरों का निर्माण और मानव रहित लड़ाकू हवाई उपकरणों की तैनाती शामिल है। इसके अलावा चीन एलओसी पर अत्यधिक गोपनीय संचार टावरों की स्थापना और भूमिगत फाइबर केबल बिछाने में भी मदद कर रहा है। वहीं, चीनी मूल की उन्नत रडार प्रणाली, जैसे 'जेवाई' और 'एचजीआर' को मध्यम और कम ऊंचाई वाले लक्ष्य का पता लगाने की क्षमताएं बढ़ाने के लिए तैनात किया गया है, जिससे सेना और वायु रक्षा इकाइयों को महत्वपूर्ण खुफिया सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त, एक चीनी कंपनी की बनाई 155 एमएम होवित्जर तोप एसएच-15 की मौजूदगी भी एलओसी पर विभिन्न स्थानों पर देखी गई है। 

एलओसी पर हो रहे निर्माण में चीनी सैनिक शामिल

इस कदम को चीन के पाकिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत बनाने और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर हुए निवेश की सुरक्षा के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि अग्रिम चौकियों पर 2014 की तरह चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी नहीं मिली है, लेकिन कुछ सुरागों से पता चला है कि चीनी सैनिक और इंजीनियर एलओसी पर भूमिगत बंकरों के निर्माण समेत बुनियादी ढांचे बना रहे हैं। अधिकारियों कहा कि चीनी विशेषज्ञ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की लीपा घाटी में सुरंग निर्माण में लगे हैं, जिससे काराकोरम राजमार्ग से जुड़ने वाली एक सदाबहार सड़क के निर्माण के संकेत मिल रहे हैं।

सीपीईसी से जुड़ा है प्रोजेक्ट

यह रणनीतिक कदम चीन की महत्वाकांक्षी 46 अरब डॉलर की सीपीईसी परियोजना से जुड़ा है, जिसका लक्ष्य चीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र काराकोरम राजमार्ग के जरिए पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह और चीन में शिनजियांग प्रांत के बीच एक सीधा मार्ग स्थापित करना है। साल 2007 में, एक चीनी टेलीकॉम कंपनी ने एक पाकिस्तानी टेलीकॉम कंपनी का अधिग्रहण कर लिया था और चाइना मोबाइल पाकिस्तान (सीएमपैक) का गठन किया था - जो कि चाइना मोबाइल कम्युनिकेशंस कॉर्पोरेशन की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। 

किसी भी खतरे से निपटने के लिए भारत है तैयार

अगस्त 2022 में, पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (पीटीए) ने पीओके के लिए सीएमपैक (जोंग) के मोबाइल लाइसेंस को नवीनीकृत करते हुए, क्षेत्र में अगली पीढ़ी की मोबाइल सेवाओं (एनजीएमएस) का विस्तार करने की अनुमति दी थी। हालांकि भारतीय सेना ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन खुफिया एजेंसियों को कथित तौर पर घटनाक्रम की जानकारी दी जा रही है। क्षेत्र में चीनी सैन्यकर्मियों की निरंतर उपस्थिति ने चिंताएं बढ़ा दी हैं, तथा भारत ने अतीत में गिलगित और बाल्टिस्तान क्षेत्रों में चीनी गतिविधियों पर आपत्ति जताई थी। अधिकारियों ने कहा कि तनाव बरकरार रहने के बावजूद भारत सतर्क है और सीमा पार से आने वाले किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार है।

(इनपुट-भाषा)