जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राज्य में सियासी पारा चढ़ गया है। केंद्र शासित प्रदेश की 90 सीटों पर तीन चरणों में चुनाव होने हैं। 2014 के बाद यानी 10 साल से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में राज्य की वीआईपी सीटों की बात करें तो बारामूला विधानसभा सीट उनमें से एक हैं। बारामूला लोकसभा सीट भी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला लोकसभा सीट से पूर्व सीएम व नेशनल कॉनफ्रेंस (NC) के दिग्गज नेता उमर अब्दुल्ला को हार का सामना करना पड़ा था।
बारामूला में तीसरे चरण में चुनाव
वहीं, एक बार फिर बारामूला की विधानसभा सीट चर्चा में है। यहां तीसरे चरण में यानी 1 अक्टूबर को विधानसभा का चुनाव होना है। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस का गठबंधन हो जाने से राज्य के सियासी समीकरण काफी बदल गए हैं।
क्या एनसी-कांग्रेस गठबंधन में शामिल होंगी महबूबा मुफ्ती?
इस बीच, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी शर्तों के आधार पर एनसी और कांग्रेस के गठबंधन में शामिल होने की बात कही है। मुफ्ती ने कहा कि अगर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोग हमारे एजेंडे पर काम करते हैं, तो वह उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
10 साल पहले पीडीपी ने दर्ज की थी जीत
ऐसे में यदि तीनों पार्टियां एक साथ आ जाती हैं तो राज्य का चुनावी परिणाम कुछ और ही होगा। यदि बारामूला विधानसभा सीट के 2014 के चुनावी परिणाम में नजर डाले तो 10 साल पहले यहां से पीडीपी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस थी तीसरे नंबर पर
2014 के विधानसभा चुनाव में पीडीपी उम्मीदवार जाविद हसन बेग को 14,412 वोट मिले थे। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उम्मीदवार हसन राही को 7397 वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार सलमान अनीस सोज को 6800 वोट मिले थे। 2014 में बारामूला सीट पर 39.73 प्रतिशत ही मतदान हुआ था।
एनसी-कांग्रेस गठबंधन को मिलेगा फायदा
ऐसे में इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है। इस बार एनसी और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने से समीकरण में काफी कुछ बदलाव हो गया है। घाटी में भारतीय जनता पार्टी की अभी उतनी पहुंच नहीं है, जितनी की जम्मू क्षेत्र में है। इसलिए माना जा रहा है कि कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में कांग्रेस-एनसी गठबंधन और पीडीपी अच्छा कर सकती है।