A
Hindi News जम्मू और कश्मीर जम्मू कश्मीर: हब्बाकदल इलाके में कश्मीरी पंडित प्रत्याशी ने मांगे वोट, कहा- कोई खौफ नहीं है, शांति लौट आई

जम्मू कश्मीर: हब्बाकदल इलाके में कश्मीरी पंडित प्रत्याशी ने मांगे वोट, कहा- कोई खौफ नहीं है, शांति लौट आई

जम्मू कश्मीर के हब्बाकदल इलाके में कश्मीरी पंडित संजय सराफ ने वोट मांगे। वह राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी के नेता हैं। उन्होंने कहा कि आज इलाके की तस्वीर बदल गई है, लोगों के दिलों से डर खत्म हो गया है।

Habba kadal- India TV Hindi Image Source : INDIA TV कश्मीरी पंडित संजय सराफ ने वोट मांगे

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है और ग्राउंड लेवल पर प्रचार भी शुरू हो चुका है। लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई दिख रही है। कश्मीर पंडित भी मुस्लिम इलाकों में बिना डर के चुनाव प्रचार में उतर रहे हैं। कश्मीरी पंडितों का गढ़ रहे हब्बाकदल इलाके में राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी के नेता संजय सराफ ने चुनाव प्रचार किया है। बता दें कि संजय सराफ एक कश्मीरी पंडित हैं और उन्हें मुस्लिम इलाकों में चुनाव प्रचार करने में किसी तरह का भय नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल हब्बाकदल इलाका कश्मीरी पंडितों का गढ़ रहा है क्योंकि यहां कई बार कश्मीरी पंडित उम्मीदवार जीत चुके हैं। एनसी के प्यारेलाल हांडू दो बार और निर्दलीय उम्मीदवार रमन मट्टू एक बार जीते हैं। यहां कश्मीरी पंडितों के वोट सबसे ज्यादा हैं। 

चुनावी इतिहास को देखते हुए राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी के नेता और कश्मीरी पंडित संजय सराफ इस चुनाव में उम्मीदवार बनकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। संजय इस इलाके में घर-घर वोट मांगते नजर आए। उन्होंने हब्बाकदल की उन गलियों का सामना किया, जहां उनका बचपन बीता और जिन गलियों ने दशकों तक चुनाव बहिष्कार देखा। सराफ ने कश्मीरी मुस्लिम लोगों के बीच वोट मांगे। 

लोगों के दिलों से डर खत्म हुआ: सराफ

सराफ ने लोगों को भरोसा दिलाया कि इस इलाके की हर समस्या के समाधान में वह उनके साथ रहेंगे। मुस्लिम लोग संजय का स्वागत करते और गले मिलते नजर आए। संजय सराफ का मानना ​​है कि आज इलाके की तस्वीर बदल गई है, लोगों के दिलों से डर खत्म हो गया है। आज लोग फिर से लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भरोसा करने लगे हैं, जो लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। 

उनका मानना है कि शांति लौट आई है, लोग खुलकर बात कर रहे हैं, कोई डर और खौफ नहीं है। संजय का मानना ​​है कि इस बार बंपर वोटिंग होगी और नतीजे पिछली बार से अलग होंगे, उन्हें पूरी उम्मीद है कि वे जीतेंगे।

गौरतलब है कि 1990 के दशक में आतंकवाद की शुरुआत के साथ ही कश्मीरी पंडित कश्मीर से पलायन कर गए थे। इस क्षेत्र के जो मतदाता कश्मीरी पंडित थे, वे प्रवासी मतदाता बन गए। क्षेत्र में बहिष्कार के कारण बहुत कम मतदान हुआ, जिसका फायदा एनसी उठाती रही। लोग चुनाव के नाम से ही डर जाते थे।

1990 के दशक तक हब्बाकदल को कश्मीरी पंडितों के नाम से जाना जाता था। यहां हिंदू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल देखने को मिलती थी। आज तीन दशक बाद वही तस्वीर देखने को मिली। कश्मीर घाटी के श्रीनगर जिले के हब्बाकदल इलाके की इस ऐतिहासिक सीट पर 25 सितंबर को मतदान होना है।