कश्मीर में 33 साल बाद फिर से खुला आर्य समाज ट्रस्ट का स्कूल, आतंक और अलगाव के कारण 1990 से था बंद
श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके का आर्य समाज ट्रस्ट का स्कूल पूरे 33 साल के बाद अब फिर से खुल रहा है। इसे साल 1990 में आतंक और अलगाव के कारण बिगड़े हालात के बाद बंद कर दिया गया था।
कश्मीर में 1989 में उग्रवाद का दौर जब शुरू हुआ तो उस दौरान कई स्कूल जलाए गए थे तो कई स्कूलों को बंद कर दिया गया था। उनमें से एक स्कूल श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके का आर्य समाज ट्रस्ट का भी था। इसे 1990 में हालात खराब होने के कारण बंद कर दिया गया था। लेकिन अब 33 साल बाद आर्य समाज ट्रस्ट का ये स्कूल फिर से खोला जा रहा है।
1992 में कर दिया गया था 'नक्शबंद पब्लिक स्कूल'
दरअसल, डाउनटाउन के सराफ कदल इलाके में ये स्कूल 1980 के दशक में डाउनटाउन का सबसे बड़ा स्कूल मन जाता था। इस स्कूल ने डाउनटाउन को कई डॉक्टर, इंजीनियर और ऑफिसर दिए हैं। लेकिन 1990 में इस स्कूल के बंद होने के बाद 1992 में यहां के स्थानीय नागरिकों ने इस स्कूल पर कब्ज़ा किया और इसका नाम आर्य समाज से बदलकर नक्शबंद पब्लिक स्कूल रखा। पिछले 33 सालों से ये स्कूल नक्शबंद स्कूल के नाम से चल रहा था। साल 2022 में आर्य समाज ट्रस्ट ने नक्शबंद पब्लिक स्कूल के मालिक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई और फिर स्थानीय समर्थन की मदद से कानूनी लड़ाई लड़कर इस स्कूल को वापस हासिल किया। आज इस स्कूल को दोबारा आर्य समाज ट्रस्ट ने डीएवी स्कूल के नाम से दोबारा खोल दिया है।
"देश के दूसरे बड़े स्कूलों की तरह बनाने की कोशिश"
डाउनटाउन के सराफ कैडल इलाके में प्रमुख परिवारों के 35 छात्र यहां फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें कोई फीस नहीं लगती। हालांकि कुछ माता-पिता ने 500 रुपये प्रतिमाह का योगदान स्कूल को दिया है। यह योगदान उस मिडिल स्कूल को बनाए रखने में किया जाता है, जिसमें दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए मदद ली जा रही है। इंडिया टीवी से स्कूल की प्रिंसिपल समीना जावेद ने कहा, हालांकि अभी भी स्कूल में छात्रों की संख्या कम है, लेकिन हमें विश्वास है कि हम और अधिक लोग अपने बच्चों को यहां पढ़ने के लिए नामांकन के लिए प्रेरित करेंगे।
स्कूल के प्रिंसिपल को उम्मीद है कि आने वाले समय में ना सिर्फ इस स्कूल का रोल बढ़ेगा बल्कि ये स्कूल देश के कई बड़े स्कूलों के नाम की लिस्ट में जाना जाएगा। हमारा सिर्फ एक उद्देश्य है बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा देना। यहां के बच्चे बहुत शानदार हैं। लेकिन मार्गदर्शन की जरूरत है। हमारी कोशिश है कि यहां के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। हम चाहते हैं कि ये स्कूल लोकल स्कूल के नाम से नहीं बल्कि देश के दूसरे बड़े स्कूलों की तरह बनाने की कोशिश है। अब यहां हालात बदल गए हैं, लोग भी बदल गए हैं।
स्कूल खुलने पर छात्रों ने क्या कहा?
इंडिया टीवी से बात करते हुए यहां पढ़ने वाले छात्र ने कहा कि इस स्कूल के खुलने से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलागा। हमें लगता है कि ये स्कूल हमारे भविष्य के लिए खुला है, जिस तरह से यहां के शिक्षक हमें पढ़ा रहे हैं, उससे हमारा भविष्य स्वर्ण जाएगा। हम बेहद खुश हैं, हम चाहते हैं कि सभी बंद स्कूल दोबारा खुलें। ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। इन छात्रों का कहना है कि इस स्कूल में डॉक्टर, इंजीनियर, ऑफिसर बने हैं। उम्मीद है कि इस स्कूल में हमें भी वैसी शिक्षा मिलेगी।
वहीं कुछ छात्रों का कहना है कि जब 1990 के दशक में ये स्कूल बंद हुआ था तब यहां के बच्चों को स्कूल नहीं मिल रहा था। सब कुछ बंद था और आज इस स्कूल का दोबारा डाउनटाउन में खुलना एक बहुत बड़ा बदलाव है। सरकार को चाहिए कि दूसरे बंद स्कूलों को भी खोले, ताकि गरीब बच्चे भी इस स्कूल में शिक्षा हासिल कर सकें।
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