A
Hindi News जम्मू और कश्मीर रक्षाबंधन पर अमरनाथ यात्रा संपन्न, 52 दिन में 5 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

रक्षाबंधन पर अमरनाथ यात्रा संपन्न, 52 दिन में 5 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

यह यात्रा 29 जून को शुरू हुई थी और कड़ी सुरक्षा के बीच 52 दिनों के बाद समाप्त हो रही है। यह यात्रा रक्षा बंधन के त्योहार के साथ ही ‘श्रावण पूर्णिमा’ के अवसर पर संपन्न होगी।

Amarnath yatra- India TV Hindi Image Source : PTI अमरनाथ यात्रा

जम्मू-कश्मीर में सोमवार (19 अगस्त) को 52 दिनों के बाद वार्षिक अमरनाथ यात्रा संपन्न होगी। इस साल करीब पांच लाख तीर्थयात्रियों ने हिमालय में स्थित गुफा मंदिर में बाबा बर्फानी के दर्शन किए। महंत स्वामी दीपेंद्र गिरि द्वारा चलाई जा रही छड़ी मुबारक ने आज सुबह पंचतरणी से पवित्र गुफा तक अपनी यात्रा का अंतिम चरण शुरू किया। यह यात्रा 29 जून को शुरू हुई थी और कड़ी सुरक्षा के बीच 52 दिनों के बाद समाप्त हो रही है। यह यात्रा रक्षा बंधन के त्योहार के साथ ही ‘श्रावण पूर्णिमा’ के अवसर पर संपन्न होगी।

अमरनाथ यात्रा देश के सबसे मुश्किल तीर्थ स्थलों में से एक है। हर साल की तरह इस बार भी अमरनाथ यात्रा के दौरान काफी मुश्किलें आईं। बारिश के कारण हुए भूस्खलन के चलते यात्रा रोकनी भी पड़ी। रास्ते में फंसे श्रद्धालुओं के रेस्क्यू के लिए सेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई। आतंकी हमले भी हुए। इस दौरान आम लोगों ने और सैनिकों ने भी अपनी जान गंवाई। हालांकि, अंत में यात्रा संपन्न हो रही है। भक्तों को बाबा बर्फानी के दर्शन अब अगले साल होंगे।

छड़ी मुबारक को सोमवार को अमरनाथ मंदिर ले जाया जायेगा 

भगवान शिव की भगवा वस्त्रधारी पवित्र ‘छड़ी मुबारक’ को पारंपरिक पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के लिए सोमवार को अमरनाथ गुफा मंदिर ले जाया जाएगा। पवित्र छड़ी के संरक्षक महंत दीपेंद्र गिरि ने बताया कि एक रात रुकने के बाद छड़ी मुबारक रविवार सुबह ‘श्रावण शुक्ल पक्ष चतुर्दशी’ के मौके पर शेषनाग शिविर से पंचतरणी शिविर के लिए रवाना हुई। उन्होंने कहा कि पवित्र छड़ी साधुओं के एक समूह के साथ 14,800 फुट की ऊंचाई पर स्थित महागुन्स टॉप को पार कर गई। महागुन्स टॉप स्वामी अमरनाथ जी के पवित्र मंदिर के मार्ग में सबसे ऊंची चोटी है। छड़ी मुबारक को सोमवार सुबह ‘श्रावण पूर्णिमा’ के मौके पर पवित्र गुफा में ले जाया जाएगा और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पारंपरिक पूजा और अनुष्ठान किए जाएंगे।