ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकती है। मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 27 अक्टूबर को 8 नवंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। हांलाकि 8 नवंबर को जज छुट्टी पर थे इसलिए फैसले को 14 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया। 14 नवंबर की तय तारीख के बाद जज महेंद्र पांडेय ने फैसला 17 नवंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था।
मामले में लोअर कोर्ट ने 26 अप्रैल को ज्ञानवापी परिसर के अंदर वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। मामले में हिंदु पक्ष का दावा था कि मस्जिद के अंदर शिवलिंग है। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना था कि शिवलिंग जैसा दिखने वाला ढांचा वजूखाने के अंदर बना हुआ एक फव्वारा है। जहां नामज पढ़ने से पहले मुस्लिम जाया करते हैं। आपको बता दें कि उस जगह पर जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है, प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर को बहाल करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि मस्जिद, उस मंदिर का हिस्सा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि विवादित परिसर को नंगी आंख से देखने पर यह स्पष्ट है कि वह मंदिर का हिस्सा है। हिंदु पक्ष ने मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा की इजाजत मांगी है।
याचिका में मुख्यत: 4 मांगें की गई है
ज्ञानवापी मामले में विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी किरण सिंह बिसेन ने यह याचिका लगाई थी। इस याचिका में चार प्वाइंट उठाए गए हैं, जिनमें कहा गया है कि आदि विश्वेश्वर के नियमित भोजन की व्यवस्था की जाए, क्योंकि शिवलिंग प्रकट हुआ है, इसलिए वो स्थान पूरी तरह से हिंदुओं को सौंप दिया जाए। साथ ही गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया जाए और मंदिर के ऊपर बने विवादित ढांचे को हटा दिया जाए। आइए आपको बिंदुवार समझाते हैं कि हिंदु पक्ष की क्या मांगें हैं?
पहली मांग
तत्काल भगवान आदि विश्वेश्वर शंभू विराजमान की नियमित पूजा शुरू की जाए।
दूसरी मांग
ज्ञानवापी परिसर में मुसलमानों का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए।
तीसरी मांग
पूरा ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को दिया जाए।
चौथी मांग
मंदिर के ऊपर बने विवादित ढांचे को हटा दिया जाए।
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