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Uttar Pradesh: गैंगस्टर विकास दुबे को हथियारों का लाइसेंस देने वाले अधिकारियों की खैर नहीं, योगी सरकार ने शुरू की जांच

Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिकरू गांव में एक कांड हुआ था, जिसने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। अब उसी विकास दुबे और उसके सहोगियों को हथियारों का लाइसेंस जारी करने वाले अधिकारियों पर योगी सरकार की गाज गिरने वाली है।

Arms license to gangster Vikas Dubey - India TV Hindi Image Source : PTI Arms license to gangster Vikas Dubey

Highlights

  • विकास दुबे को हथियारों का लाइसेंस देने वाले अधिकारियों की खैर नहीं
  • योगी सरकार ने शुरू की जांच
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रही है जांच

Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिकरू गांव में एक कांड हुआ था, जिसने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। अब उसी विकास दुबे और उसके सहोगियों को हथियारों का लाइसेंस जारी करने वाले अधिकारियों पर योगी सरकार की गाज गिरने वाली है। दरअसल, कानपुर में पुलिस द्वारा मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे और उसके सहयोगियों को हथियार लाइसेंस जारी करने की जांच योगी सरकार ने शुरू कर दी है। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जांच शुरू की है। संभागीय आयुक्त राज शेखर और एडीजी भानु भास्कर इस मामले में उन तमाम विभागों के प्रशासन और पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की जांच करेंगे जो इससे संबंधित हैं। दोनों अधिकारियों ने संबंधित कर्मचारियों को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने को कहा है।

3 जुलाई, 2020 को बिकरू की घटना के बाद पता चला कि विकास दुबे और उनके सहयोगियों को शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए थे, भले ही उनके खिलाफ गंभीर मामले दर्ज थे। जांच में पता चला कि शस्त्र लाइसेंस जारी करने और भूमि विवाद से जुड़े अन्य मामलों में भी उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। एडीजी भानु भास्कर ने कहा कि सरकार के आदेश पर संबंधित लोगों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, "प्रशासनिक हिस्से की जांच संभागीय आयुक्त करेंगे, जबकि मैं पुलिस विभाग के कर्मचारियों की भूमिका की जांच करूंगा।" 3 जुलाई 2020 को जिले के बिकरू गांव में विकास दुबे के घर गई पुलिस की टीम के साथ उसका मुटभेड़ हुआ था, वहीं पुलिस टीम पर दुबे और उसके साथियों ने हमला किया था, जिसमें बिल्हौर के तत्कालीन सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

कौन था बिकरू नरसंहार का मुख्य कारण

चित्रकूट से गिरफ्तार किए गए विकास दुबे का सहयोगी बाल गोविंद दुबे ने स्वीकार किया था कि वह और उसका दामाद विनीत 3 जुलाई को हुए बिकरू नरसंहार का कारण थे। इस हत्याकांड में आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। दुबे ने एसटीएफ को बताया कि राहुल तिवारी, जिन्होंने विकास दुबे के खिलाफ शिकायत की थी, उसका उनके दामाद विनीत के साथ संपत्ति का झगड़ा चल रहा था। इसी एफआईआर पर बिकरू पुलिस छापेमारी करने गई थी और उसने विकास दुबे के साथ मिलकर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था।

एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया कि, "संपत्ति को लेकर विवाद के अलावा इस साल अप्रैल में बाल गोविंद के दामाद की बहन के साथ कथित तौर पर भागकर शादी के बाद से राहुल के साथ उनका विवाद बढ़ गया। इसके अलावा, उन्होंने पुलिस को बताया कि राहुल ने विनीत की भैंस को अवैध रूप से बेच दिया था, जिसे लेकर चौबेपुर पुलिस स्टेशन में एक अलग मामला दर्ज किया गया था।"

एसटीएफ अधिकारी ने कहा, "जुलाई की घटना से दो दिन पहले, पुलिस ने राहुल को हिरासत में लिया था और पूछताछ के लिए उसे बाल गोविंद के घर ले गई, इस दौरान विकास दुबे और उसके पांच सहयोगी भी मौजूद थे। तब विकास ने जेल में बंद चौबेपुर के थानेदार विनय तिवारी के मोबाइल फोन को छीन लिया और राहुल तिवारी की पिटाई कर दी। पुलिस ने जल्दबाजी में राहुल को थाने से भगा दिया।" बाल गोविंद दुबे को चित्रकूट जिले के कर्वी कोतवाली क्षेत्र में कामतानाथ मंदिर परिक्रमा से गिरफ्तार किया गया था और पूछताछ के दौरान उसने स्वीकार किया कि वह और उनका दामाद बिकरू कांड की मुख्य वजह थे। बाल गोविंद विकास दुबे का दूर का चचेरा भाई भी है।

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