Uttar Pradesh: समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों को जोड़कर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के दावे पर पलटवार किया। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी का खुद को ‘आंबेडकरवादी’ दिखाने का प्रयास ढोंग एवं छलावा है। मायावती ने ट्वीट कर कहा, ''समाजवादी पार्टी का अपने चाल, चरित्र, चेहरे को ‘आंबेडकरवादी’ दिखाने का प्रयास वैसा ही ढोंग व छलावा है जैसा कि वोट बैंक की राजनीति के चलते दूसरी पार्टियां अक्सर करती रहती हैं । इनका दलित व पिछड़ा वर्ग प्रेम मुँह में राम, बग़ल में छुरी को ही चरितार्थ करता है।''
सपा का इतिहास आंबेडकर और बहुजन विरोधी
गौरतलब हैं कि अखिलेश यादव ने सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का आह्वान करते हुए बृहस्पतिवार को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा था कि वे बाबा साहब आंबेडकर और समाजवाद के प्रणेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों को साथ जोड़कर संविधान और लोकतंत्र को बचाएं। सपा नेता के इस बयान पर पलटवार करते हुए बसपा सुप्रीमो ने कहा, ''वास्तव में डा. आंबेडकर के संवैधानिक व मानवतावादी आदर्शों को पूरा करके देश के करोड़ों गरीबों, दलितों, पिछड़ों, उपेक्षितों आदि का उत्थान करने वाली कोई भी पार्टी व सरकार नहीं है और सपा का तो पूरा इतिहास ही डा.आंबेडकर व बहुजन विरोधी रहा है।''
सपा के शासनकाल पर उठाए यह सवाल
मायावती ने कहा कि सपा शासनकाल में महापुरुषों की स्मृति में बसपा सरकार द्वारा स्थापित नए जिले, विश्वविद्यालय, भव्य पार्क आदि के नाम भी जातिवादी द्वेष के कारण बदल दिए गए। क्या यही है सपा का आंबेडकर प्रेम? यादव ने यहां पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में लगातार तीसरी बार सपा का अध्यक्ष चुने जाने के बाद कहा था ''समाजवादियों की यह कोशिश होनी चाहिए कि बाबा साहब और डॉक्टर लोहिया के सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों को साथ जोड़कर हम लोग संविधान और लोकतंत्र को बचाएं।''
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