Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले में व्यवस्था दी है कि एक सरकारी कर्मचारी की मौत होने पर यदि उसकी पत्नी जिंदा है और उसने नियुक्ति के लिए दावा किया है तो मृतक की बहन की दया के आधार पर नियुक्ति नहीं की जा सकती। न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने मृतक कर्मचारी की बहन कुमारी मोहनी द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया। मोहनी ने दया के आधार पर अपनी नियुक्ति के लिए संबद्ध अधिकारियों को विचार करने का निर्देश पारित करने का अनुरोध अदालत से किया था।
कोर्ट ने बहन की याचिका की खारिज
एक सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी नौकरी पर नियुक्ति के लिए दावा ठोकने वाली उसकी बहन की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “मौजूदा मामले में इस तथ्य में कोई विवाद नहीं है कि मृतक कर्मचारी विवाहित था और उसकी पत्नी जीवित है और उसने दया के आधार पर नियुक्ति के लिए दावा किया है। इसलिए नियमों के तहत वही नियुक्ति के लिए पात्र है और याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती है।”
पहले पिता की मौत फिर भाई की भी गई जान
मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता का पिता “सफाई कर्मचारी” के पद पर कार्यरत था और सेवाकाल के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, याचिकाकर्ता के भाई को दया के आधार पर नियुक्ति मिल गई। दुर्भाग्य से, एक सड़क दुर्घटना में याचिकाकर्ता के भाई की भी मृत्यु हो गई और उसकी मृत्यु के बाद उसकी मां ने दया के आधार पर नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता यानी उसकी बहन को अपनी सहमति दे दी। याचिकाकर्ता ने अपनी नियुक्ति के लिए अधिकारियों के समक्ष प्रत्यावेदन दिया जोकि विचाराधीन था।
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