Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के लखनऊ की एक विशेष सांसद-विधायक अदालत (MP-MLA court) ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा को 42 साल पुराने आपराधिक मामले में बरी कर दिया। उनके अलावा, अदालत ने दो अन्य सह-आरोपियों को भी बरी कर दिया। विशेष अदालत के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) अंबरीश श्रीवास्तव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित नहीं कर सका।
केवल एक गवाह को किया गया पेश
अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष ने केवल एक गवाह पेश किया। मामले के शिकायतकर्ता की मौत हो चुकी है। आरोप पत्र में उल्लेखित अन्य गवाह काफी प्रयासों के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुए। अदालत में पेश किया गया अकेला गवाह भी अभियोजन पक्ष के मामले को साबित नहीं कर सका। अदालत ने सबूतों के अभाव में पूर्व मंत्री व विधायक और दो अन्य व्यक्तियों को बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामले में प्राथमिकी आठ फरवरी 1979 को लखनऊ विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार डीपी दीक्षित ने हसनगंज थाने में दर्ज कराई थी।
रिपोर्ट में हाथापाई, तोड़फोड़ के थे आरोप
दर्ज कराई गई रिपोर्ट में कहा गया था कि छह फरवरी 1979 को रविदास मेहरोत्रा व 40 अन्य लोग रजिस्ट्रार बिल्डिंग में घुस आए तथा हाथापाई की एवं अपशब्द कहे, साथ ही उनके कर्मचारियों के साथ मारपीट की। अभियोजन के मुताबिक, यह भी आरोप था कि तोड़फोड़ के दौरान हमलावरों ने रजिस्टर आदि भी फाड़ दिए। मामले की विवेचना के बाद पुलिस ने 18 नवंबर 1979 को रविदास मेहरोत्रा, बृजेंद्र अग्निहोत्री व अनिल कुमार सिंह के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दायर किया था।
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