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Uttar Pradesh News: इस जामा मस्जिद की जगह नीलकंठ महादेव मंदिर का दावा, अर्जी पर सुनवाई के लिए तैयार हुई अदालत

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बदायूं की निचली अदालत स्थानीय शम्सी जामा मस्जिद के स्थान पर पहले नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली अर्जी पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है।

Lower court agrees to hear Jama Masjid Shamsi suit- India TV Hindi Image Source : INDIA TV GFX Lower court agrees to hear Jama Masjid Shamsi suit

Highlights

  • शम्सी जामा मस्जिद पर महादेव मंदिर होने का दावा
  • बदायूं की निचली अदालत सुनवाई के लिए हुई तैयार
  • सुनवाई के लिए 15 सितम्बर की तारीख मुकर्रर की गई

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बदायूं की निचली अदालत स्थानीय शम्सी जामा मस्जिद के स्थान पर पहले नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली अर्जी पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। निचली कोर्ट 15 सितम्बर को इस अर्जी पर सुनवाई करेगी। दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिविजन) विजय गुप्ता ने मस्जिद पर दावे संबंधी वाद पर विचार करने को लेकर शु्क्रवार को अपनी सहमति जताई और अगली सुनवाई के लिए 15 सितम्बर की तारीख मुकर्रर कर दी। मस्जिद की ओर से पेश वकील असरार अहमद ने बताया कि अगली तारीख को अदालत उनका पक्ष सुनेगी। उन्होंने वाद के इरादे पर सवाल उठाया है। 

मस्जिद की जगह महिपाल का किला और मंदिर का दावा
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल और अन्य की ओर से अदालत में याचिका दायर की गई है, जिसमें जामा मस्जिद की जगह पूर्व में राजा महिपाल का किला और नीलकंठ महादेव का मंदिर होने का दावा किया गया है। अदालत में पहले इस बिंदु पर सुनवाई की गई कि इस मुकदमे को सुनवाई के लिए स्वीकार किया जाये या नहीं। वाद में नीलकंठ महादेव को प्रथम वादी बनाया गया है। वादियों में शामिल वकील अरविंद परमार ने बताया कि याचिका में पहले वादी स्वयं भगवान नीलकंठ महादेव बनाए गए हैं, जबकि अन्य वादियों में उनके अलावा अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल, ज्ञान प्रकाश, डाक्टर अनुराग शर्मा और उमेश चंद्र शर्मा शामिल हैं। 

देश की तीसरी पुरानी मस्जिद
याचिका में वादियों ने ऐतिहासिक पुस्तकों के हवाले से मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया है। वादियों ने सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित कराई जाने वाली पुस्तक सूचना डायरी में भी उल्लेखित इसके इतिहास का हवाला दिया है। उल्लेखनीय है कि बदायूं की जामा मस्जिद देश की सबसे बड़ी मस्जिदों की श्रेणी में शुमार है और इसे सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद बताया जाता है। दिल्ली की जामा मस्जिद के बाद यह देश की तीसरी पुरानी मस्जिद भी है। याचिकाकर्ताओं के वकील वेद प्रकाश शाहू ने बताया कि वाद को अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। जामा मस्जिद की ओर से वकील असरार अहमद पेश हुए और मंदिर के अस्तित्व पर सवाल खड़े किये। अहमद ने कहा कि अगली सुनवाई को अदालत मस्जिद की इंतजामिया कमेटी का पक्ष सुनेगी। 

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