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Uttar Pradesh: Electricity Amendment बिल के खिलाफ उत्तर प्रदेश में बिजलीकर्मियों का प्रदर्शन, कार्यों का करेंगे बायकॉट

Uttar Pradesh: उन्होंने कहा कि लोकसभा सदस्यों को विद्युत (संशोधन) विधेयक का मसौदा 5 अगस्त को दिया गया है और इस पर केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह ने 2 अगस्त को हस्ताक्षर किए हैं, जिससे स्पष्ट है कि इस बिल पर किसी भी दूसरे पक्ष से राय नहीं मांगी गई है, जो मात्र तीन दिन में संभव भी नहीं है।

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Highlights

  • सोमवार को करेंगे 27 लाख बिजली कर्मचारी कार्य का बहिष्कार
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील
  • "केंद्र सरकार ने किसी भी राज्य से राय नहीं मांगी"

Uttar Pradesh: लोकसभा में विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 पेश करने की केंद्र सरकार की तैयारियों के बीच देश के लाखों बिजली कर्मचारी सोमवार को इसके खिलाफ कार्य बहिष्कार और प्रदर्शन करेंगे। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने रविवार को लखनऊ में बताया कि बिजली के निजीकरण के लिए संसद में रखे जा रहे विद्युत (संशोधन) विधेयक के विरोध में देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी सोमवार को कार्य बहिष्कार करते हुए सड़कों पर उतरकर दिनभर प्रदर्शन करेंगे।

पीएम मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील

दुबे के मुताबिक, फेडरेशन ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए कहा है कि विद्युत (संशोधन) विधेयक को संसद में जल्दबाजी में पारित न कराया जाए और बिजली उपभोक्ताओं तथा बिजली कर्मचारियों सहित सभी पक्षों से विस्तृत चर्चा करने के लिए इस बिल को संसद की बिजली मामलों की स्थाई समिति के पास भेजा जाए। उन्होंने कहा कि लोकसभा सदस्यों को विद्युत (संशोधन) विधेयक का मसौदा 5 अगस्त को दिया गया है और इस पर केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह ने 2 अगस्त को हस्ताक्षर किए हैं, जिससे स्पष्ट है कि इस बिल पर किसी भी दूसरे पक्ष से राय नहीं मांगी गई है, जो मात्र तीन दिन में संभव भी नहीं है। 

"सरकार ने किसी भी राज्य से नहीं ली राय"

दुबे के अनुसार, बिजली भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में है, जिसका अर्थ यह है कि बिजली के मामले में कानून बनाने में केंद्र और राज्य का बराबर का अधिकार है, मगर इस विधेयक पर केंद्र सरकार ने किसी भी राज्य से राय नहीं मांगी है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश कर पारित कराने की कोशिश है, जो संसदीय परंपरा का खुला उल्लंघन होने के साथ-साथ देश के संघीय ढांचे पर प्रहार भी है। दुबे ने दावा किया कि विद्युत (संशोधन) विधेयक के जरिये केंद्र सरकार विद्युत अधिनियम-2003 में संशोधन करने जा रही है, जिसके बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ताओं पर दूरगामी नुकसानदेह प्रभाव पड़ने वाले हैं। 

"केंद्र सरकार ने किया था वादा"

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर वादा किया था कि किसानों और अन्य संबंधित पक्षों से विस्तृत चर्चा किए बगैर विद्युत (संशोधन) विधेयक को संसद में नहीं पेश किया जाएगा। दुबे ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से आज तक कोई बातचीत नहीं की है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस एकतरफा कार्यवाही से बिजली कर्मचारियों में भारी रोष है।

दुबे के मुताबिक, विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 में यह प्रावधान है कि एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण कंपनियों को लाइसेंस दिया जाएगा। यानी निजी क्षेत्र की नयी वितरण कंपनियां सरकारी क्षेत्र के नेटवर्क का इस्तेमाल कर बिजली आपूर्ति कर सकेंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे निजी कंपनियां मात्र कुछ शुल्क देकर मुनाफा कमाएंगी और परिणामस्वरूप सरकारी कंपनियां दिवालिया हो जाएंगी।

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