UP News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में कहा जाता है कि सपा की उसके गठबंधन दलों से दोस्ती ज्यादा दिनों तक नहीं चलती। चुनावों से पहले गठबंधन होता है और चुनाव हो जाने के बाद गठबंधन टूट जाता है। कंधे से कंधा मिलकर चुनावों में साथ चलने वाले दल चुनावों के बाद आंख भी नहीं मिलाते हैं। 2017 के चुनावों में सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन था। चुनाव हुए, हार गए और उसके बाद अब दोनों दल एक-दूसरे को फूटी आंख भी नहीं सुहाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल सपा का बसपा के साथ है। 2019 के लोकसभा चुनावों में सपा का गठबंधन मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ हुआ। इसका फायदा बसपा को तो हुआ लेकिन सपा नुकसान में रही। चुनावों के बाद दोनों का गठबंधन टूटा और अब दोनों दलों में सांप-नेवले वाला हाल है।
इसके बाद हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में सपा ने कई छोटे दलों के साथ नाता जोड़ा। चुनाव हुए और अखिलेश यादव के अरमानों और उम्मीदों पर पानी फिर गया। 2017 की तरह ही बीजेपी सत्ता में आई और सपा का चुनाव पूर्व हुआ गठबंधन भी अपना रिकॉर्ड दोहराने लगा। गठबंधन के साथी रहे महान दल और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी अखिलेश यादव को खरी-खोटी सुनाकर वे उनसे अलग हो गए हैं। अब गठबंधन से अलग होने की तैयारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी कर रही है।
प्रेस कांफ्रेंस में दिखी थी तल्खी
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि उन्हें अखिलेश यादव की तरफ से ‘तलाक’ मिलने का इंतजार है और वह सपा से गठबंधन तोड़ने को लेकर अपने स्तर से पहल नहीं करेंगे। सुभासपा और सपा के बीच तल्खी बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति पद के लिये विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की प्रेस कांफ्रेंस में भी नजर आई थी क्योंकि सपा ने इस प्रेस कांफ्रेंस में गठबंधन के सहयोगी रालोद के प्रमुख जयंत सिंह को तो बुलाया था लेकिन सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर नजर नहीं आए थे।
राजभर ने कहा कि वह सपा से गठबंधन तोड़ने को लेकर अपने स्तर से पहल नहीं करेंगे। उन्होंने सपा से तल्खी को लेकर मीडिया में आई खबरों पर बोलते हुए कहा, ‘‘उन्हें सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से ‘तलाक’ मिलने का इंतजार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह अब भी सपा के साथ हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यदि उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहेंगे तो वह सपा के साथ जबरदस्ती नहीं रहेंगे।’’
राष्ट्रपति पद के चुनाव में समर्थन को लेकर 12 जुलाई को करेंगे घोषणा
उन्होंने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के समर्थन में आयोजित बैठक में सम्मिलित नहीं होने को लेकर पूछे जाने पर कहा कि अखिलेश यादव भूल गए होंगे, इसलिए उन्हें बैठक में नहीं बुलाया। राजभर ने एक सवाल के जबाव में कहा कि वह राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर समर्थन के मसले पर अपने फैसले की घोषणा 12 जुलाई को करेंगे। उन्होंने कहा कि वह शुक्रवार को मऊ और शनिवार को बलिया एवं गाजीपुर में पार्टी के कार्यकर्ताओं से बात करेंगे तथा इसके बाद अपना फैसला सार्वजनिक करेंगे। उन्होंने यशवंत सिन्हा के समर्थन को लेकर पूछे जाने पर कहा कि अभी कुछ भी तय नहीं है।
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