UP News: उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री भूपेंद्र चौधरी को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। अभी तक प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में उन्हें सबसे आगे माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जाट चेहरा लाकर जहां किसान आंदोलन के कारण पार्टी से दूर माने जा रहे जाटों और किसानों को साध सकती है, वहीं पश्चिमी यूपी में पार्टी का आधार और भी मजबूत कर सकती है।
देर शाम भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से चौधरी ने की मुलाकात
बता दें कि केंद्र सरकार के विवादास्पद तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में एक साल तक चले आंदोलन में जाट समुदाय ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। सूत्रों ने बताया कि चौधरी ने बुधवार को देर शाम भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की थी। चौधरी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंत्रिपरिषद में पंचायती राज मंत्री हैं।
अगर चौधरी को उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया जाता है तो वह स्वतंत्र देव सिंह का स्थान लेंगे। सिंह को योगी सरकार में मंत्री बनाया गया है। मुख्यमंत्री योगी पूर्वी उत्तर प्रदेश से हैं। ऐसे में भाजपा चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्त कर क्षेत्रीय संतुलन भी साधना चाहती है। चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं।
जाट वोट बैंक को साधने के लिए चौधरी सबसे मजबूत नेता
लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए पार्टी पश्चिमी यूपी के नेता को अध्यक्ष की जिम्मेदारी देना चाहती है। जाट वोट बैंक को साधने के लिए चौधरी सबसे मजबूत नेता माने जा रहे हैं। ऐसे में पश्चिमी यूपी में रालोद और सपा के गठबंधन का असर कम करने के लिए उनको आगे किया जाना लगभग तय माना जा रहा है। इससे पश्चिमी यूपी की जाटों के प्रभाव वाली डेढ़ दर्जन लोकसभा सीटों पर भाजपा को फायदा हो सकता है।
चौधरी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी
इससे पूरे राज्य में भी पिछड़े वोट बैंक को साधने में मदद मिलेगी। चौधरी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। वह बुधवार को आनन-फानन आजमगढ़ से दिल्ली बुला लिए गए। बता दें साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में 80 में से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के सामने उसे पश्चिमी यूपी में मुरादाबाद मंडल की लोकसभा की सभी 6 सीटें (मुरादाबाद, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, संभल और रामपुर) गंवानी पड़ी थीं। सहारनपुर मंडल में सहारनपुर सीट भी बीजेपी हार गई थी।
साल 2022 में पश्चिमी यूपी में संघर्ष करती दिखी थी
बीजेपी ने मुजफ्फरनगर में बहुत मामूली मतों से जीत हासिल की थी। मेरठ और बागपत लोकसभा सीट पर भी भाजपा की जीत का अंतर भी कम रहा था। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में सपा-रालोद गठबंधन का प्रदर्शन बेहतर रहा है। पहले की तुलना में गठबंधन की सीटें बढ़ीं। जाट मतदाताओं का झुकाव सपा-रालोद गठबंधन की ओर देखने को मिला।
ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा पश्चिमी यूपी में जाट मतदाताओं को साधने की तैयारी कर रही है। इस सियासी बिसात में संगठन का लंबा तजुर्बा, जाट बिरादरी और राजनीतिक अनुभव प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह के पक्ष में हैं। भूपेंद्र चौधरी साल 2007 से 2012 तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय मंत्री रहे। वहीं, साल 2011-2018 तक लगातार 3 बार पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं।
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