UP News: डॉक्टरों को धरती पर भगवान की उपाधि दी गई है, कहा जाता है कि डॉक्टर बेहतर हो तो वह मरणासन्न में पहुंचे मरीज को भी उठा सकता है। कुछ इसी तरह का कारनामा यूपी की राजधानी लखनऊ के डॉक्टरों ने कर दिखाया। दरअसल, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में 28 वर्षीय एक युवक की आवाज एक हादसे के चलते चली गई थी। सभी को लगा कि वह जीवन भर बिना आवाज के रहेगा, लेकिन डॉक्टरों ने ऐसा होने नहीं दिया। डॉक्टरों ने उसकी 5 घंटे तक सर्जरी की। सर्जरी के 10 दिनों के भीतर उसकी आवाज वापस आ गई, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। दरअसल, 27 जुलाई को एक दुर्घटना में युवक की अन्नप्रणाली, श्वासनली और वोकल कॉर्ड कट गया था। उसे लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ले जाया गया, जहां सर्जनों ने पांच घंटे लंबी सटीक सर्जरी की। कटे हुए हिस्सों की मरम्मत की और उनकी स्वर-झिल्ली (वोकल कॉर्ड) को ठीक किया।
डॉक्टरों को नहीं थी उम्मीद
हालांकि, डॉक्टरों का मानना था कि युवक की आवाज वापस आने की संभावना बेहद कम है, लेकिन आवाज वापस आने पर सभी ने खुशी जताई। थोरैसिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. शैलेंद्र यादव के अनुसार, यह मामला दुर्लभ नहीं था, लेकिन इस तरह का मामला, जहां एक व्यक्ति अन्नप्रणाली और श्वासनली कटे होने के बावजूद जीवित रहा, ऐसा कभी नहीं सुना गया। बाइक चलाते समय सड़क के बीच में आए एक जानवर को बचाने में बाइक एक खेत के कंटीले तार वाले बाड़ से टकरा गई, जिस वजह से युवक के गले की यह हालत हुई। यादवेंद्र ने कहा, "हमें यकीन नहीं था कि यह युवक भविष्य में बोलेगा, लेकिन सौभाग्य से उसकी आवाज भी लौट आई है।" केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल प्रोफेसर बिपिन पुरी ने टीम को बधाई दी है।
एक जगह फ्लैश लाइट में इलाज
एक तरफ जहां लखनऊ में डॉक्टरों ने कमाल कर दिया, वहीं झारखंड में डॉक्टर मोबाइल की फ्लैश लाइट में इलाज कर रहे हैं। ऐसा ही अव्यवस्था और लापहरवाही का मामला झारखंड के हजारीबाग जिले से सामने आया है। खबर है कि यहां के एक अस्पताल में एक व्यक्ति का इलाज मोबाइल की टार्च की रोशनी में किया गया। इलाज करते हुए वीडियो अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। जिसमें दिखाया गया है कि हजारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एचएमसीएच) में बिजली कटौती के बाद बिजली की चपेट में आए एक व्यक्ति का कथित तौर पर मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में किया गया।
अस्पताल ने वीडियो को बताया गलत
यह वीडियो हजारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का बताया जा रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद अब प्रशासन जांच की बात कह रहा है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इस आरोप से इनकार किया है कि मरीज का मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में इलाज किया जा रहा था। अस्पताल प्रशासन ने इसे झूठा करार दिया।
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