UP Election 2022: ‘गोरखपुर क्षेत्र’ के 62 विधानसभा क्षेत्रों में आरएसएस ने झोंकी ताकत, BJP के लिए तैयार कर रहा जमीन
आरएसएस के पदाधिकारी इसे मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 'जनजागरण अभियान' का नाम दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गोरखपुर क्षेत्र के 62 विधानसभा क्षेत्रों में 27,647 बूथ हैं जहां आरएसएस के 'ग्राम प्रमुखों' और अन्य कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ी है।
Highlights
- गोरखपुर में बीजेपी की मदद के लिए आगे आया संघ
- बीजेपी ने 2017 में 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी
- सपा-बसपा को 7-7 सीटों पर जीत मिली थी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ‘गोरखपुर क्षेत्र’ के दस जिलों की 62 विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने पूरी ताक़त झोंक दी है। इन निर्वाचन क्षेत्रों में आरएसएस के करीब 15 हजार 'ग्राम प्रमुख' अपनी टोलियां के साथ मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, एक-एक विधानसभा क्षेत्र में 240 से अधिक 'ग्राम प्रमुख' भाजपा उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी टोलियों (पांच से दस लोगों के समूह) के साथ सक्रिय हैं।
हालांकि, आरएसएस के पदाधिकारी इसे मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 'जनजागरण अभियान' का नाम दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि गोरखपुर क्षेत्र के 62 विधानसभा क्षेत्रों में 27,647 बूथ हैं जहां आरएसएस के 'ग्राम प्रमुखों' और अन्य कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ी है। मऊ के नगर प्रचार प्रमुख डॉक्टर मधुकर आनन्द ने बताया कि संघ (आरएसएस) की सुबह 'प्रभात शाखा' में लोगों को अधिक से अधिक मतदान के लिए स्वयंसेवक जागरूक कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सुबह हम शाखा के बाद वार्डों में प्रभात फेरी निकाल रहे हैं और मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं तथा उनके बीच पत्रक भी बांट रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हम किसी दल के लिए नहीं राष्ट्र के लिए कार्य करते हैं। लोक जागरण मंच, ‘गोरक्ष प्रांत’ की ओर से बांटे जा रहे पत्रक में मतदाताओं से अपील की गई है कि मतदान करते समय विचार करें कि आपका बहुमूल्य मत किसे जा रहा है।
पत्रक की शुरुआत में ही कहा गया है ‘‘उसे, जो शुरू से राम मंदिर बनाने के पक्ष में खड़ा रहा और उसके लिए संघर्ष किया या उसे, जिसने मंदिर की जगह मस्जिद या अस्पताल बनाने की बात करते हुए विरोध किया।’’ इस पत्रक में विश्वनाथ धाम के साथ ही सरकारी नौकरियों में जातिवाद, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जैसे मामलों का जिक्र किया गया है। चुनाव में आरएसएस की भूमिका के संदर्भ में जब ‘गोरक्ष प्रांत’ के प्रांत प्रचारक सुभाष जी से बातचीत की गई तो उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, '' निर्वाचन आयोग मतदान प्रतिशत बढ़ाने का प्रयास करता हैं, उसी के लिए हम जनजागरण कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा, ''जन जागरण में यह प्रयास है कि आदमी वोट डालने जाए तो अच्छी सरकार बनाने के लिए मानकों पर विचार करे, सरकारों के कार्यकाल के मूल्यांकन के आधार पर अच्छे लोगों का चयन करें।'' सुभाष ने स्वीकार किया कि इस जनजागरण में करीब 15 हजार 'ग्राम प्रमुख' भी लगे हैं और इसके अलावा आरएसएस संगठन के और भी लोग शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में ‘गोरखपुर क्षेत्र’ की 62 विधानसभा सीटों में से 44 पर जीत दर्ज की थी जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को सात-सात, कांग्रेस को एक तथा एक निर्दलीय को जीत मिली थी।
2017 में क्या था जनता का रुझान-
इसके अलावा तब भाजपा की सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा)और अपना दल (सोनेलाल) को भी इस इलाके की एक-एक सीटों पर जीत मिली थी। इस बार पूर्वांचल के राजभरों में प्रभावी माने जाने वाले और योगी सरकार से सबसे पहले इस्तीफा देने वाले ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा सपा के साथ है और चुनाव से ऐन पहले राज्य सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देकर स्वामी प्रसाद मौर्य व दारा सिंह चौहान भी सपा में शामिल हो गए हैं।
मौर्य और सिंह क्रमश: कुशीनगर की फाजिलनगर तथा मऊ की घोसी सीट से सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में इन नेताओं से संबंधित जातियों के मतों में बिखराव की आशंका जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक अनिल ने रविवार को मऊ के 'राजस्थान भवन' में आरएसएस और भाजपा की एक समन्वय बैठक की जिसमें भाजपा उम्मीदवारों को चुनाव जिताने की रणनीति बनाई गई।
बैठक में शामिल एक कार्यकर्ता ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि राम मंदिर निर्माण धन संग्रह अभियान के समय सभी गांवों में आरएसएस ने 'ग्राम प्रमुख' बनाये थे और इस चुनाव में वे सभी 'ग्राम प्रमुख' टोली बनाकर बूथवार प्रचार अभियान में सक्रिय हैं। इसके पहले भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने आरएसएस के एक पदाधिकारी के साथ विधानसभा चुनाव संचालन समिति की दोहरीघाट में बैठक की थी।
पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र गोरखपुर ही है। इस क्षेत्र में राज्य की मुख्य विपक्षी सपा ने मुस्लिम और पिछड़े वर्गों के मतों को एकजुट करने की कोशिश की है। बांदा जेल में बंद और पांच बार के कथित बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और उनकी जगह पर उनके बेटे अब्बास अंसारी सपा की सहयोगी सुभासपा के टिकट पर मऊ से उम्मीदवार हैं। इधर, भाजपा ने बिहार के राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर को विधानसभा चुनाव का सह प्रभारी बनाकर गोरखपुर क्षेत्र के दस जिलों की जिम्मेदारी सौंपी है।
2017 से बेहतर प्रदर्शन करेगी बीजेपी!
विवेक ठाकुर ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में दावा किया कि भाजपा गोरखपुर क्षेत्र में 2017 के मुकाबले और बेहतर प्रदर्शन करेगी। राजनीतिक दलों की कार्यशैली पर नज़र रखने वाले मऊ के विनय जायसवाल ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा,‘‘ अगर किसी भाजपा उम्मीदवार से लोगों की व्यक्तिगत नाराजगी है तो उसे दूर करने की भी कोशिश ग्राम प्रमुखों की टोलियां कर रही हैं।’’ जानकारों के अनुसार ‘गोरखपुर क्षेत्र’ के दस जिलों में करीब 52 फीसद पिछड़ी जातियों के अलावा, 20 फीसद अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। यहां के अलग अलग क्षेत्रों में पिछड़ी कुर्मी-सैंथवार, मौर्य-कुशवाहा, यादव, राजभर, नोनिया- चौहान बिरादरी की निर्णायक संख्या है, जबकि दलितों में जाटव के अलावा पासी, खटीक, बेलदार, धोबी भी कुछ क्षेत्रों में अच्छी तादाद में हैं। सवर्ण बिरादरी में ब्राह्मण और क्षत्रिय के अलावा कायस्थ भी लगभग सभी जिलों में हैं।
मऊ, आजमगढ़ और पडरौना समेत करीब 15 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का भी प्रभाव है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अपने संगठनात्मक ढांचे को छह भागों में बांटा है जिसमें पश्चिम क्षेत्र, ब्रज क्षेत्र, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध और काशी क्षेत्र के अलावा गोरखपुर क्षेत्र शामिल हैं। गोरखपुर क्षेत्र में कुल दस जिले गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, बलिया और मऊ शामिल हैं और इनमें कुल 62 विधानसभा सीटें हैं।
आजमगढ़ जिले की 10 तथा मऊ जिले की चार विधानसभा सीटों पर आखिरी चरण में सात मार्च को मतदान होगा जबकि बाकी 48 सीटों पर छठे चरण में तीन मार्च को मतदान होना है। शुरू के पांच चरणों में कुल 292 सीटों पर मतदान हो चुका है और अभी दो चरणों में कुल 111 सीटों पर मतदान होना बाकी है।