उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिए कि समस्याओं के निस्तारण की जवाबदेही तय होनी चाहिए और लेटलतीफी अथवा एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक के बाद दिए गए दिशा-निर्देश में कहा, ‘‘समस्याओं के निस्तारण की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
लेटलतीफी अथवा एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। कैबिनेट के समक्ष विभागीय प्रस्तुतियां सम्बंधित मंत्री द्वारा ही की जाएंगी, विभागीय अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव केवल मदद के लिए उपस्थित होंगे।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी विभागाध्यक्ष अपने अधीनस्थ कार्यालयों का औचक निरीक्षण करें। कार्यालयों में स्वच्छता, लंबित फाइल की स्थिति, जन शिकायतों के निस्तारण की स्थिति, कार्मिकों की उपस्थिति, समयबद्धता आदि की वस्तुस्थिति का परीक्षण किया जाए। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के कारण बीते दो शैक्षिक सत्र प्रभावित रहे हैं। प्रत्यक्ष पठन-पाठन नहीं हो सका। इसलिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि आगामी सत्र की शुरुआत से पहले ‘स्कूल चलो अभियान’ को वृहद स्वरूप दिया जाना आवश्यक है।
विभागीय मंत्री के परामर्श से अभियान के संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली जाए। एक भी बच्चा स्कूल से वंचित नहीं रहे।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं खरीद की प्रक्रिया एक अप्रैल से प्रारंभ हो रही है। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी क्रय केंद्र पर किसानों को समस्या नहीं हो, भंडारण गोदाम हो या क्रय केंद्र, हर जगह गेहूं की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं।
प्रत्येक दशा में किसानों को एमएसपी का लाभ मिलना चाहिए। सभी क्रय केन्द्रों पर पूरी पारदर्शिता के साथ गेहूं खरीद कराई जाए और किसानों की उपज का समयबद्ध ढंग से भुगतान किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए संचालित ‘हर घर नल योजना’ अंतर्गत पाइपलाइन डाली जा रही है और जहां पाइपलाइन डाली जा चुकी है, वहां बरसात से पहले पाइपलाइन के लिए खोदे गए गड्ढों को भर दिया जाए, ताकि लोगों को असुविधा नहीं हो।
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