Twin Towers: नोएडा के सेक्टर-93A में बने सुपरटेक के ट्विन टावर आज जमीन में मिला दिए जाएंगे। मुंबई स्थित एडिफिस इंजीनियरिंग और उनकी दक्षिण अफ्रीकी साझेदार फर्म जेट डिमोलिशन सुपरटेक ट्विन टावरों को गिराने का काम करेंगे। इन दोनों टावरों को गिराने में लगभग 3600 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें लगभग 18 करोड़ रुपए का खर्चा आएगा।
विदेशी व्यक्ति ने डिजाइन किया है ब्लास्ट
एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी के इंजीनियर के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीकी कंपनी के इंजीनियर बिल्डिंग में धमाका करेंगे। ब्लास्ट का डिजाईन एक विदेशी इंजीनियर ने तैयार किया लेकिन ब्लास्टिंग के लिए इस्तेमाल होने वाला डेटोनेटर भारत के चेतन दत्ता चलाएंगे। अब सवाल उठता है कि अफ़्रीकी कंपनी के इंजीनियर होने के बावजूद भारत के बलास्टर ही क्यों डेटोनेटर पर बटन दबायेंगे? तो इसके पीछे कारण है भारत का कानून और नियम।
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भारतीय ही कर सकता है ब्लास्ट
भारतीय नियमों के अनुसार, इस तरह के कंट्रोल्ड ब्लास्ट को केवल कोई भारतीय ही कर सकता है। कानून के हिसाब से देश की जमीन पर होने वाले ऐसे कंट्रोल्ड ब्लास्ट को भारतीय ही अंजाम दे सकता है। इसके साथ ही ब्लास्टिंग के समय वहां स्थानीय प्रशासन की मौजूदगी अनिवार्य है।
18 करोड़ आएगा खर्चा
इन दोनों टावरों को गिराने में लगभग 3600 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। टावरों को गिराने में लगभग 18 करोड़ रुपए का खर्चा आएगा। अगर विस्तार से देखें तो दोनों टावरों को नेस्तो नाबूद करने में लगभग 267 रुपये प्रति वर्ग फुट अनुमानित है। लगभग 7.5 लाख वर्ग फुट के कुल निर्मित क्षेत्र को देखते हुए, विस्फोटकों सहित कुल विध्वंस लागत करीब 18 करोड़ रुपये होगी।
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मलबा बेंचकर जुटाया जायेगा लगभग 15 करोड़ रुपए
इस 18 करोड़ रुपए में से सुपरटेक लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है और बकाया 13 करोड़ रुपये की राशि मलबे को बेचकर प्राप्त की जाएगी, जो कि 4,000 टन स्टील सहित लगभग 55,000 टन होगी। इसके अलावा इमारतों को गिराने के लिए जिम्मेदार कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग ने आसपास के क्षेत्र में किसी भी क्षति के लिए 100 करोड़ रुपये का बीमा कवर भी हासिल किया है।
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