Samajwadi Party News : क्या टूट की कगार पर है सपा ? क्यों बड़े नेताओं का पार्टी से हो रहा है मोह भंग, जानें सब कुछ
चुनाव परिणामों के बाद धीरे-धीरे पार्टी के अंदर से भी आवाजें उठने शुरू हो गईं। अखिलेश पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लगने लगे।
Highlights
- अखिलेश पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप
- आजम खान के समर्थकों ने शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ उठाई आवाज
Samajwadi Party News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में जिस समाजवादी पार्टी की चमक एक सूरज के सामान मानी जाती थी, अब उसकी रोशनी मद्धम सी पड़ने लगी है। खासतौर से हाल के विधानसभा चुनावों में पार्टी की आशाओं के विपरीत चुनाव परिणाम ने अंदरूनी कलह को बढ़ा दिया है। यही वजह है कि अंदरखाने यह सवाल उठने लगे हैं कहीं पार्टी टूट के कगार पर तो नहीं है ? क्यों पार्टी से नेताओं का मोहभंग हो रहा है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए ताजा चुनाव परिणामों के साथ ही पार्टी के अंदर चल रही उथल-पुथल पर नजर डालना लाजिमी हो जाता है।
अखिलेश पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोपविधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने से पहले पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव इस आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे थे कि उनकी पार्टी एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी। उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के अलावा कई अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन किया और पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन चुनाव के नतीजों ने उन्हें अंदर से हिलाकर रख दिया। बीजेपी दोबारा सत्ता में आ गई और अखिलेश का पत्ता साफ हो गया। चुनाव परिणामों के बाद धीरे-धीरे पार्टी के अंदर से भी आवाजें उठने शुरू हो गईं। अखिलेश पर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोप लगने लगे।
आजम खान के समर्थकों ने शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ उठाई आवाज
पार्टी के अंदर से जो आवाजें मुखर हुई वो समाजवादी पार्टी के संस्थापकों में एक आजम खान के समर्थन में उठीं। अखिलेश यादव पर ये आरोप लगे कि उन्होंने आजम खान की रिहाई को लेकर कुछ खास प्रयास नहीं किया। वहीं आजम खान के समर्थक खुलकर मैदान में आ गए और समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल दागने लगे। अखिलेश पर आजम की उपेक्षा का आरोप लगा। आजम खान दो साल से ज्यादा वक्त से जेल में हैं।
जयंत चौधरी से भी बढ़ी दूरियां, टूट सकता है गठबंधन
ऐसा माना जा रहा है कि मुस्लिम नेताओं का भी समाजवादी पार्टी से मोहभंग हो रहा है। इसलिए पार्टी के मुस्लिम नेताओं का एक बड़ा वर्ग पार्टी के मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ खड़ा हो सकता है। और इन परिस्थितियों पार्टी टूट भी सकती हैं। उधर जिस राष्ट्रीय लोकदल को साथ लेकर अखिलेश विधानसभा चुनाव में उतरे थे, वहां भी दरार के संकेत मिल रहे हैं। माना जा रहा है कि जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल भी समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ सकती है। इसके पीछे बड़ी वजह राज्यसभा की सीट का मुद्दा है। बताया जाता है कि समाजवादी पार्टी राज्यसभा की सीट राष्ट्रीय लोकदल को देने के पक्ष में नहीं है। इसी वजह से ऐसी अटकलें हैं कि इन दोनों दलों का साथ छूट सकता है।
शिवपाल यादव भी खुलकर जता चुके हैं नाराजगी
वहीं विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के साथ आनेवाले शिवपाल यादव भी खुलकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। वे समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीते थे लेकिन विधायक दल की बैठक में उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। इससे वे खासे नाराज थे और उन्होंने मीडिया के सामने भी अपनी नाराजगी दर्ज कराई थी। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव ने चुनाव से पहले अखिलेश यादव के साथ समझौता किया था और इसी समझौते के तहत उन्होंने विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लड़ा था।
अमर सिंह, जय प्रदा, राज बब्बर, बेनी वर्मा को छोड़नी पड़ी थी पार्टी
समाजवादी पार्टी के चेहरा मानेजाने वाले कई दिग्गज नेता अबतक पार्टी छोड़ चुके हैं। यूं तो पार्टी छोड़नेवाले बड़े नेताओं की लंबी फेहरिस्त है लेकिन फिर भी कुछ बड़े चेहरों का जिक्र करना जरूरी हो जाता है। समाजवादी पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले अमर सिंह को अंदरुनी कलह के चलते पार्टी छोड़नी पड़ी थी। अमर सिंह के साथ पार्टी की सांसद और पूर्व अभिनेत्री जया प्रदा ने भी समाजवादी पार्टी को अलविदा कह दिया था। वहीं अंदरुनी खींचतान की वजह से राज बब्बर, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे दिग्गज नेताओं को पार्टी छोड़नी पड़ी।
आजम के सपा छोड़ने से बिखर सकती है सपा
अब आजम खान के पार्टी छोड़ने की अटकलें हैं। आजम खान अगर पार्टी छोड़ते हैं यूपी की सियासत में एक मजबूत आधार रखनेवाली समाजवादी पार्टी के पूरी तरह से बिखरने का अंदेशा है। वे इस पार्टी की नींव रखने वाले नेताओं में हैं। मुख्यमंत्री चाहे अखिलेश रहें हों या फिर मुलायम सिंह यादव, हमेशा आजम खान प्रभावाशाली भूमिका में रहे। ऐसे में अगर वो पार्टी से अलग जाते हैं तो इसका समाजवादी पार्टी के जनाधार पर काफी असर पड़ेगा।