मथुरा आरपीएफ का डॉग, डॉन 7 साल तक सेवा देने के बाद रिटायर हो गया है। उसने अपराधियों की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाई थी। 'डॉन' ने अपनी सेवा के दौरान डेढ़ दर्जन से अधिक चोरी और अन्य आपराधिक वारदातों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। मेडिकली अनफिट होने के कारण आरपीएफ ने कागजी औपचारिकताएं पूरी करते हुए मंगलवार को रिटायरमेंट के साथ ही उसकी नीलामी कर दी। डॉन को अब मथुरा में नया घर मिल गया है, जहां वह नए लोगों के साथ समय बिताएगा।
डॉन को नीलामी के बाद अब नए मालिक को सौंपा गया है। उसकी विदाई पर सभी भावुक हो गए। डॉन को गले में माला भी पहनाई गई। आरपीएफ के आर वर्मा ने कहा, "मुझे ये तब मिला, जब इसकी उम्र 2 महीने थी। मैंने इसे ट्रेनिंग दी और अपने बच्चे की तरह बड़ा किया। लेकिन कुछ चिकित्सा कारणों के कारण वह अपनी सेवाएं देने में असमर्थ है और इसलिए इसकी नीलामी कर दी गई है।"
कई केस सुलझाने में की मदद
मथुरा डॉग स्क्वायड, आरपीएफ के एएसआई आरजी वर्मा ने कहा, "इसने हमें आरपीएफ के कई मामलों में मदद की है और डकैती और चोरी के मामलों में इसका इस्तेमाल किया गया है। मैं दुखी महसूस कर रहा हूं।" वहीं डॉग के नए मालिक वरुण सक्सेना ने कहा, "मैंने इसे पहले भी देखा है और जब मुझे पता चला कि इसकी नीलामी हो रही है, तो मैंने इसे खरीद लिया। मैं बहुत खुश हूं। इसे अच्छे से ट्रेनिंग दी गई है। मैं इसे अपने परिवार के सदस्य की तरह रखूंगा।"
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