वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्वर्वेद महामंदिर में लोगों को संबोधित किया। भारत की आध्यात्मिक-सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी के उमरहां में निर्माणाधीन विशाल साधना केंद्र स्वर्वेद महामंदिर शिल्प और अत्याधुनिक तकनीक के अदभुत सामंजस्य का प्रतीक है। वाराणसी में उमरहां नाम की जगह पर 18 वर्षों से निर्माणाधीन स्वर्वेद महामंदिर 180 फीट ऊंचा और 7 मंजिलों का है। महामंदिर में सद्गुरु सदाफल देव महाराज के 2024 में होने वाले शताब्दी समारोह और लोकार्पण को देखते हुए कई बड़े आयोजन किए जा रहे हैं।
क्या हैं स्वर्वेद महामंदिर की खासियत?
उमरहां में निर्माणाधीन इस साधना केंद्र में 98वें वार्षिकोत्सव के रूप में 13-15 दिसंबर तक चलने वाले 3 दिवसीय कार्यक्रम और 5100 कुंडीय विश्वशांति वैदिक महायज्ञ का आयोजन किया गया है। इस मंदिर में 135 फीट ऊंची सद्गुरु सदाफल देव की सैंडस्टोन प्रतिमा का निर्माण हुआ है, और 3 लाख वर्गफीट में दुर्लभ श्वेत मकराना संगमरमर का प्रयोग किया गया है।
मंदिर में इसके अलावा 3 लाख घन फीट में ही नक्काशी दार गुलाबी सैंडस्टोनका प्रयोग हो रहा है। इस मंदिर का फ्लोर एरिया 2,50,000 वर्गफीट है। इसमें 20 हजार विहंगम योग साधकों के एक साथ बैठने हेतु स्थान है। मकराना संगमरमर की दीवारों पर 4,000 स्वर्वेद दोहे उत्कीर्ण होंगे। इसके अलावा 238 क्षमता के 2 अत्याधुनिक सभागार हैं।
स्वर्वेद का अर्थ क्या है?
स्वर्वेद की व्युत्पत्ति 2 शब्दों से ली गई है- ‘स्वाह’ का अर्थ है ब्रह्म, सार्वभौमिक ऊर्जा और ‘वेद’ का अर्थ है ज्ञान। एक आध्यात्मिक ग्रन्थ स्वर्वेद को समर्पित मूल रूप से 7 चक्रों को समर्पित 7 तलों का यह एक आध्यात्मिक मंदिर है। महामंदिर का मुख्य उद्देश्य मानव जाति को अपनी शानदार आध्यात्मिक विरासत से जोड़ना, उसकी आभा और अनुभवों से दुनिया को परिचित कराना है।
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