A
Hindi News भारत उत्तर प्रदेश Noida Twin Tower Blast: ट्विन टावर ध्वस्तीकरण का लंबे समय तक झेलना पड़ेगा दंश, जानें बिल्डर की गलती कैसे पड़ेगी जीवन पर भारी

Noida Twin Tower Blast: ट्विन टावर ध्वस्तीकरण का लंबे समय तक झेलना पड़ेगा दंश, जानें बिल्डर की गलती कैसे पड़ेगी जीवन पर भारी

Noida Twin Tower Blast: नोएडा में सेक्टर 93-ए स्थित सुपरटेक का ट्विन टॉवर अब ध्वस्त होने के बाद इतिहास बन जाएगा। सिर्फ नौ सेकेंड में भीषण बारूदी विस्फोट से यह 100 मीटर ऊंची बिल्डिंग पूरी तरह जमींदोज हो जाएगी। मगर ध्वस्तीकरण का दंश आमजनों को लंबे समय तक झेलना पड़ सकता है।

twin tower- India TV Hindi Image Source : INDIA TV twin tower

Highlights

  • घर से बाहर निकलने पर मुंह पर मास्क और आंख पर चश्मा लगाएं
  • महीनों तक हवा में रह सकते हैं ट्विन टॉवर से होने वाले प्रदूषण के कण
  • सांस, दिल, किडनी और कैंसर के मरीजों को रहना होगा अधिक सतर्क

Noida Twin Tower Blast: नोएडा में सेक्टर 93-ए स्थित सुपरटेक का ट्विन टॉवर अब ध्वस्त होने के बाद इतिहास बन जाएगा। सिर्फ नौ सेकेंड में भीषण बारूदी विस्फोट से यह 100 मीटर ऊंची बिल्डिंग पूरी तरह जमींदोज हो जाएगी। मगर ध्वस्तीकरण का दंश आमजनों को लंबे समय तक झेलना पड़ सकता है। टॉवर ब्लॉस्ट के बाद आसमान में 35 हजार घन फीट धूल का गुबार उठेगा। यह 350 मीटर तक की ऊंचाई तक चारों तरफ फैल जाएगा। इससे नोएडा-ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, फरीदाबाद समेत पूरे एनसीआर में लोगों को विभिन्न तरह की स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है। सांस और दिल के मरीजों को सबसे ज्यादा रिस्क रहेगा। यह समस्या सिर्फ एक दो दिन में दूर होने वाली नहीं है। बल्कि इसका असर लंबे समय तक रह सकता है। आंखों में जलन, सिर चकराना, मतली आना, एलर्जी होना जैसी गंभीर समस्याएं होंगी। एक बिल्डर की गलती किस तरह से सामान्य मानव की जिंदगी पर भारी पड़ने वाली है, आइए हम आपको समझाते हैं। 

डॉक्टरों के अनुसार किडनी, लिवर, हार्ट और कैंसर के मरीजों, गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों की सेहत के लिए ट्विन टॉवर ब्लॉस्ट खतरे का सबब बनेगा। इससे  सभी की सेहत खराब हो सकती है। कुछ लोगों को लंबे समय तक के लिए एलर्जी और सांस से जुड़ी दिक्कतें, आंखों में जलन और सांस फूलने जैसी मुश्किलें हो सकती हैं। इसलिए सेहत को लेकर सचेत रहने की जरूरत है। ध्वस्तीकरण के बाद वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ेगा। ऐसे में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। वायुमंडल में आक्सीजन की कमी हो सकती है। जिन मरीजों का कोई ऑपरेशन हुआ है, उन्हें और अधिक मुश्किल झेलना होगा। लंबे समय तक नोएडा और एनसीआर में शुद्ध हवा का मिलना असंभव हो जाएगा। इससे लोगों में तनाव, चिड़चिड़पान, आक्रोश जैसी समस्याएं भी बढ़ेंगी। 

मुंह पर मास्क और आंखों पर लगाएं चश्मा
ध्वस्तीकरण के दिन से लेकर अगले करीब एक दो माह तक घर से बाहर निकलते समय लोगों को मुंह पर मास्क और आंख में चश्मा लगाान चाहिए। इससे धूल, मिट्टी और बारूद से होने वाले प्रदूषण के कण सांसों में समाहित नहीं होंगे। वह आंखों में भी प्रवेश नहीं कर पाएंगे। इससे आंखों में एलर्जी का स्तर कम रहेगा। अगले कुछ माह तक दिन में कम से कम पांच बार पीने वाले शुद्ध और ताजे ठंडे पानी से आंखों को कम से कम पांच बार धोएं। मास्क नियमित रूप से बाहर निकलने पर लगाएं। करीब एक हफ्ते तक घर में लगी बाहरी खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें। ताकि धूल और मिट्टी का गुबार अंदर नहीं प्रवेश कर सके। इससे काफी हद तक आप अपने सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों के मुंह पर भी मास्क लगाएं। यदि उन्हें खुले वाहनों से स्कूल भेज रहे हैं तो आंखों पर प्रोटेक्शन के लिए चश्मा लगाएं। 

आसपास की इमारतों को पहुंच सकती है प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष क्षति
ट्विन टॉवर को गिराने के लिए 3.7 टन बारूद का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में जोरदार धमाके से आसपास की धरती हिल सकती है। इसका विपरीत असर पड़ोसी मकानों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हो सकता है। मकानों की खिड़कियों के शीशे दड़क सकते हैं। जमीन में हलचल होने से नींव कमजोर हो सकती है। कहीं-कहीं दरारें आ सकती हैं। कुछ दिनों के लिए श्रवण शक्ति कमजोर हो सकती है। वाहनों को भी अप्रत्यक्ष क्षति पहुंच सकती है। पेड़-पौधों पर धूल जमने से उनमें प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। वहीं आसपास के घरों में रखे सामान खराब हो सकते हैं। 

करोड़ों का होगा नुकसान
इमारत के ढहाए जाने से सिर्फ बिल्डर को ही नहीं बल्कि लोगों को सुरक्षित रखने और वातावरण को शुद्ध करने में लाखों रुपये खर्च होंगे। आसपास के पार्कों में भी साज-सज्जा बिगड़ सकती है। धूल का गुबार लोगों के घरों, आंगन और छतों तक भी पहुंचेगा। इससे भी लोगों को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। खुले आसमान में लगे इलेक्ट्रानिक उपकरणों में धूल भरने से वह खराब हो सकता हैं। एअर प्योरीफॉयर, एसी का एक्झास्ट इत्यादि उपकरण भी भारी मात्रा में धूल भर जाने से काम करना बंद कर सकते हैं। इससे सभी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

खुले में लगने वाली खाने पीने की दुकानों, फलों, सब्जियों को नुकसान
खुले में लगने वाली चाय पान की दुकानों, फलों, सब्जियों में भी धूल का जमाव कई दिनों तक बना रह सकता है। खेतों में उग रही सब्जियां भी धूल से आच्छादित हो जाएंगी। इसका असर उत्पादन के साथ-साथ लोगों की सेहत पर भी पड़ेगा। रविवार को जरूरी न हो तो घर से बाहर नहीं निकलें। घरों से बाहर निकलने पर मुंह पर कपड़ा या मास्क और आंखों पर चश्मा जरूर लगाएं। साथ ही अगले कुछ हफ्ते तक खुले में बिकने वाली खाने-पीने की वस्तुएं खाने से परहेज करें। 

Latest Uttar Pradesh News