Jamiat Ulema-e-Hind : काशी और मथुरा में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहे विवादों के बीच आज देवबंद में जमीयत उलमा-ए-हिंद का एक बड़ा जलसा हो रहा है। जलसे में देशभर से करीब 5 हजार मुस्लिम बुद्धिजीवी इकट्ठा हुए हैं। जमीयत का यह सम्मेलन दो दिन 28 और 29 मई को चलेगा। काशी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद पर हिंदू पक्ष के नए दावों और कोर्ट में सुनवाई के बीच हो रहे इस सम्मेलन पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। जानकारी के मुताबिक इस सम्मेलन में कुल तीन प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। इस बीच जलसे को संबोधित करते हुए महमूद मदनी ने कहा कि नफरत को नफरत से नहीं मिटाया जा सकता। आग को आग से नहीं बुझाया जा सकता।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के तीन प्रस्ताव
- देश में नफरत के बढ़ते हुए दुष्प्रचार को रोकने के उपायों पर विचार
- सद्भावना मंच को मजबूत करने पर विचार
- इस्लामोफोबिया की रोकथाम के विषय में प्रस्ताव
ज्ञानवापी जैसे मुद्दों को सड़कों पर न लाने की अपील
आपको बता दें कि इससे पहले भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मुस्लिम समुदाय के लोगों का आह्वान किया था कि ज्ञानवापी जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा कि था कुछ ‘शरारती लोग’ इस मामले के बहाने दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश में हैं, इसलिए इसमें संयम जरूरी है। मदनी ने आह्वान किया कि ज्ञानवापी जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए।
कोर्ट में मामले को मजबूती से लड़ेंगे
मदनी ने कहा था कि इस मामले में मस्जिद कमेटी एक पक्षकार के रूप में विभिन्न अदालतों में मुकदमा लड़ रही है। उनसे उम्मीद है कि वे इस मामले को अंत तक मजबूती से लड़ेंगे। देश के अन्य संगठनों से अपील है कि वे इसमें सीधे हस्तक्षेप न करें। उन्होंने कहा था कि उलेमा, वक्ताओं और टिप्पणीकारों से अपील है कि वह टीवी डिबेट और बहस में भाग लेने से परहेज करें। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सार्वजनिक बहस में भड़काऊ बहस और सोशल मीडिया पर भाषणबाजी किसी भी तरह से देश और मुसलमानों के हित में नहीं है।
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