Gyanvapi Masjid Case : वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस की अगली सुनवाई 30 मई को होगी। पहले ऐसा लग रहा था कि आज की सुनवाई में यह साफ हो जाएगा कि ये केस अदालत में चलने लायक है या नहीं। लेकिन अब अदालत में 30 मई को इस मामले की सुनवाई करेगी। सबसे पहले मुस्लिम पक्ष के प्रार्थना पत्र पर ही सुनवाई होगी। डिस्ट्रिक्ट यह तय करेगा कि इस मामले में 1991 का पूजा स्थल अधिनियम लागू होगा या नहीं।
मुस्लिम पक्ष की ओर से मुकदमा खारिज करने की अर्जी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह केस डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था। आज मुस्लिम पक्ष के रूल 7 आर्डर 11 के तहत दी गई अर्जी सुनवाई में जिला कोर्ट यह आदेश देगा कि शृंगार गौरी ज्ञानवापी का मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं। मुस्लिम पक्ष की ओर से इस मुकदमे को खारिज करने की अर्जी दी गई है।
आपत्ति दाखिल करने के लिए दोनों पक्षों को एक हफ्ते का समय
इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने सर्वे कमीशन की कार्यवाही पर आपत्ति दाखिल करने के लिए दोनों पक्षों को एक सप्ताह का समय दिया है। मुस्लिम पक्ष के वकील ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उन्होंने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर यह कहा है कि यह मुकदमा सुनने लायक नहीं है क्योंकि ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई करना उपासना स्थल अधिनियम-1991 का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को ट्रांसफर किया था केस
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट तीन सदस्यीय बेंच ने 20 मई को ज्ञानवापी मामले को वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला जज की कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि चूंकि यह मामला अत्यंत संवेदनशील है इसीलिए कोई तजुर्बेकार न्यायिक अधिकारी इस मामले को सुने। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि जिला जज आठ हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करें।
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने दावा
गौरतलब है कि दिल्ली निवासी राखी सिंह तथा अन्य की याचिका पर वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने पिछली 26 अप्रैल को ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराए जाने का निर्देश दिया था। सर्वे का यह काम पिछली 16 मई को मुकम्मल हुआ था, जिसकी रिपोर्ट 19 मई को अदालत में पेश की गई थी। हिंदू पक्ष ने सर्वे के अंतिम दिन ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था, जिसे मुस्लिम पक्ष ने नकारते हुए कहा था कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है।
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