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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में आज होगी सुनवाई, हिन्दू पक्ष ने बनाया न्यास ट्रस्ट

Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष की तरफ से दलील दी जाएगी कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू होता है। मतलब 1947 में आजादी के समय धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है।

Gyanvapi Case- India TV Hindi Image Source : PTI Gyanvapi Case

Highlights

  • मामले में मुस्लिम पक्ष रखेगा दलीलें
  • सिविल जज से जिला जज को किया गया था केस ट्रांसफर
  • हिंदू पक्ष के मुकदमे का पूरा खर्च उठाएगा ट्रस्ट

Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मंदिर और मां श्रंगार गौरी मामले में आज जिला न्यायालय में सुनवाई होगी। मामले में जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में आज दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी। इसी मामले में 4 जुलाई को भी सुनवाई हुई थी, जिस दौरान मुस्लिम पक्ष ने 52 बिंदुओं को लेकर अपनी दलीलें अदालत में रखी थीं। आज होने वाली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष कोर्ट के सामने ज्ञानवापी से जुड़ा कानूनी पहलू सामने रखेगा। मुस्लिम पक्ष की तरफ से दलील दी जाएगी कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू होता है। मतलब 1947 में आजादी के समय धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। इसके बाद हिंदू पक्ष अपनी दलीलें रखेगा और यह बताना होगा कि मुकदमा सुनवाई योग्य क्यों है? वर्शिप एक्ट क्यों लागू नहीं होता है?

मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद दर्शन-पूजन और देवी-देवताओं के विग्रहों को सहेजे जाने की मांग पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट आदेश सुनाएगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोर्ट हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुन रही है। इससे पहले 4 जुलाई को सुनवाई हुई थी। तब मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की 51 बिन्दुओं पर अपनी दलीलें रखी थी।

मुकदमे का पूरा खर्च उठाएगा ट्रस्ट

वहीं हिंदू पक्ष ने श्री आदि महादेव काशी धर्मालय मुक्ति न्यास नाम से ट्रस्ट बनाया है। सोमवार की शाम इस ट्रस्ट की बैठक हुई। बैठक में एडवोकेट हरि शंकर जैन और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री थीं। हिंदू पक्ष के पैरोकार डॉ. सोहनलाल आर्य, शृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी 4 महिलाएं और ट्रस्ट के अन्य सदस्य शामिल थे। बैठक के दौरान डॉ. सोहनलाल आर्य ने कहा, ''यह ट्रस्ट ज्ञानवापी से जुड़े मुकदमों को कोर्ट में देखने और आगे की रणनीति तय करने के लिए बनाया गया है। मुकदमों की सुनवाई में जो खर्च आएगा, वह भी ट्रस्ट ही पूरा करेगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने सिविल से जिला जज को किया था केस ट्रांसफर 

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज रवि दिवाकर से इस मामले को हटाकर जिला जज के पास ट्रांसफर कर दिया था। इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उसे सिविल जज की बुद्धिमता और कानून की जानकारी पर कोई शक नहीं है, लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे किसी वरिष्ठ जज द्वारा सुना जाना ठीक रहेगा। इसके बाद से मामले की सुनवाई जिला जज कर रहे हैं।  

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