Farmani Naaz: आपने 'हर-हर शम्भू' गाना सुना है। शायद सुना होगा। शायद पसंद भी आया होगा। इसे गाने वाली जो गायक हैं वह मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखती हैं। नाम है फ़रमानी नाज। उनका यह गाना गाना मुस्लिम समाज के धर्मगुरुओं को नागवार गुजरा और उन्होंने इसे नाजायज बता दिया। देवबंद के उलेमा ने तो इसे गैरइस्लामी करार दिया। अब इसके जवाब में नाज ने कहा है कि जब उनके पति ने बिना तलाक लिए दूसरी शादी कर थी तब क्या यह गैर इस्लाम नहीं था? अब जब मैं अपने बच्चों का पेट पालने के लिए गा रही हूँ तो यह गैर इस्लामी हो गया है।
देवबंद के उलेमा ने कहा कि किसी भी तरह का गीत संगीत इस्लाम के खिलाफ
देश में इन दिनों कांवड़ सिंगर फरमानी नाज का गया हुआ 'हर हर शंभु' खूब बज रहा है। उनके इस गाने पर कट्टरपंथियों ने ऐतराज जताया था। फरमानी नाज को देवबंदी उलेमा ने नसीहत देते हुए कहा था कि इस्लाम में किसी भी तरह का गाना नहीं गाना चाहिए, ये इस्लाम के खिलाफ है। इसलिए फरमानी को इससे तौबा कर लेना चाहिए। इसके जवाब में नाज ने कहा है कि आज लड़कियां आत्मनिर्भर होकर समाज में जी रही हैं, वे अपने टैलेंट के दम पर आगे बढ़ रही हैं।
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उलेमा के एतराज जताने के बाद फरमानी नाज ने कहा कि, "उन्हें किसी ने घर आकर गाने से नहीं रोका है। बस कुछ लोग सोशल मीडिया पर इस तरह के कमेंट कर देते हैं। मैं अपने हुनर के बल पर गाने गाकर आगे बढ़ रही हूं। कभी किसी धर्म का अपमान नहीं किया। शादी के बाद एक बेटा हुआ। बेटे को बीमारी थी, इसके बाद पति और ससुराल वालों ने छोड़ दिया। मुझे बिना तलाक दिए पति ने दूसरी शादी कर ली। इस पर कभी किसी ने मेरा दुख नहीं समझा।"
'कलाकार का कोई धर्म नहीं होता'
उन्होंने कहा कि मेरे गाना गाने में किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। लोग मेरे गानों को पसंद कर रहे हैं। मैं अपने बच्चे के भविष्य के लिए कर रही हूं। सरकार कोई ऐसा कदम उठाए कि जो मेरे साथ हुआ है वो किसी और के साथ नहीं हो। एक कलाकार का कोई धर्म नहीं होता है। उन्होंने कहा कि वह सभी प्रकार की धुनों को आवाज देने की कोशिश करती हैं।
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