Dharampal Singh: बीजेपी ने संगठन स्तर पर पार्टी में कई बड़े बदलाव किए हैं। इसी कड़ी में उसने यूपी की कमान अब सुनील बंसल से लेकर धर्मपाल सिंह को दे दी है। हालांकि, सुनील बंसल का कद दम नहीं किया गया है बल्कि और ज्यादा बढ़ा दिया गया है और उन्हें अब राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया है। धर्मपाल सिंह अभी तक झारखंड के संगठन मंत्री थे, हालांकि उन्हें यूपी में काम करने का लंबा अनुभव है।
2024 में होने वाली चुनौती पार कर लेंगे धर्मपाल
धर्मपाल सिंह को 2024 में होने वाली चुनौती में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। पश्चिमी यूपी के राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि धर्मपाल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को आसानी से पार कर लेंगे। क्योंकि उनके पास विद्यार्थी परिषद का अच्छा अनुभव है। वो भी पूरब और पश्चिम दोनों क्षेत्रों का। इन इलाकों में इन्होंने कई छात्रसंघ चुनाव भी लड़ायें हैं। कई आंदोलन भी किये हैं। इसके अलावा कई प्रदेशों का अनुभव इनके पास है। वह मूलरूप से बिजनौर के ही रहने वाले हैं। मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद धर्मपाल ने 1986 में आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भरतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े।
1990 से उन्होंने देहरादून से पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य शुरू किया था। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के संयुक्त क्षेत्रीय संगठन मंत्री रहे। उत्तराखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश, ब्रज और पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री रहे। 2017 के विधानसभा चुनावों में संघ की ओर से बीजेपी के लिए काम किया। जुलाई 2017 में झारखंड में बीजेपी के संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी मिली। पहली बार नगर निगमों, जिला परिषदों में बीजेपी को जीत दिलाई। 2020 के बिहार विधानसभा, 2021 के असम विधानसभा और 2022 के उत्तर विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।
केशव प्रसाद मौर्य बने नेता विधान परिषद
स्वतंत्र देव सिंह की जगह अब उत्तर प्रदेश उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को नेता विधान परिषद बनाया गया है। हालांकि अभी तक ये बात साफ नहीं हो पाई है कि स्वतंत्र देव सिंह ने इस्तीफा क्यों दिया। स्वतंत्र देव सिंह को मई में विधान परिषद का नेता चुना गया था और उन्होंने यहां पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा की जगह ली थी। बता दें कि स्वतंत्र देव सिंह योगी सरकार में जल शक्ति मंत्री हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य योगी सरकार में उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वहीं इससे पहले जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव के इस्तीफा देने के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को भी नेता सदन बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे थे पर ऐसा नहीं हुआ।
Image Source : File Photokeshav prasad Maurya
पहली बार बनाए गए नेता सदन
यह पहली बार है जब केशव को नेता सदन बनाया गया है। हालांकि वह 2022 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे, लेकिन फिर भी उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया और अब विधान परिषद में नेता सदन की जिम्मेदारी देकर उनका कद और भी बढ़ाया गया है। हालांकि ख़बरें चल रही थीं कि केशव प्रसाद मौर्य को फिर से भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है, लेकिन इस अहम जिम्मेदारी के बाद अब इस संभावना पर पानी फिर गया है।
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